खुद को गुदगुदी करने पर हंसी क्यों नहीं आती है? ये है इसकी वजह
हंसी आना एक नेचुरल रिएक्शन है. वैज्ञानिकों का कहना है कि गुदगुदी के समय हमारा रिएक्शन खुद को सुरक्षित रखने की एक नेचरुल प्रक्रिया होती है. असल में अक्सर लोग अचानक से बिना बताए गुदगुदी करते हैं, इसलिए हमारा शरीर एक प्रकार से पैनिक में आ जाता है और हमें असहज महसूस होता है. इसी वजह से हम बेकाबू होकर हंसने लगते हैं.
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View In Appकुछ लोगों की हंसी तो तब भी छूट पड़ती है, अगर उनको पता है कि कोई उन्हें गुदगुदी करने वाला है. इस तरह किसी के छूने का डर ही आपको हंसी दिला देता है. यही कारण है कि कुछ लोगों को बस गुदगुदी करने के एक्शन मात्र से ही हंसी आ जाती है. दरअसल, गुदगुदी की पूरी प्रक्रिया सरप्राइज पर निर्भर करती है. जब भी कोई हमें अचानक से गुदगुदी करता है तो हमारा दिमाग उसके लिए तैयार नहीं होता है.
रिसर्चर्स का कहना है कि हमारा दिमाग हमारे किसी भी एक्शन को कैसे फील करता है इसके लिए ट्रेन्ड होता है. जब हम खुद को ही गुदगुदी करते हैं तो हमारे दिमाग को यह पता लग जाता है कि ये हमारा ही हाथ है और वह इसके लिए खुद को तैयार कर लेता है. इसलिए खुद के गुदगुदी करने पर हमें हंसी नहीं आती है.
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के एक ब्रेन साइंटिस्ट के हवाले से howstuffworks.com साइट ने बताया है कि हमें खुद को गुदगुदी लगाने से रोकने का काम दिमाग का सेरिबैलम हिस्सा करता है. सेरिबैलम दिमाग का वो हिस्सा होता है जो सभी एक्शंस को मॉनिटर करता है. दिमाग का ये हिस्सा हमारी बॉडी में सभी तरह के सेंसेज के बीच अंतर करने में मदद करता है. इसीलिए हमें खुद को गुदगुदी करने पर हंसी नहीं आती है.
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