नौ दो ग्यारह होना ही क्यों कहा जाता है, नौ-तीन बारह होना क्यों नहीं?
अब अगर देखें कि इसका अर्थ भाग जाना क्यों है?सामान्य तौर पर देखें तो चलना मतलब एक-एक कदम आगे बढ़ाना. जैसे - तीन, चार, पांच छ, सात आदि
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View In Appअब अगर कोई भागता है, तो वह बड़े-बड़े कदम (डग) रखता हुआ भागेगा. जैसे तीन, पांच, सात, नौ, आदि. यानी वह क्रमशः नही चलेगा!
भागने वाले का एक ही कदम दो कदम के बराबर होगा तथा उसकी चाल गति भी दो गुना होगी और भागने वाला सीधे एक घर (एक मुकाम) से दूसरे घर में कूद जायेगा.
अगर इस मुहावरे को 'तीन दो पांच' या 'पांच दो सात' कहा जाता तो यह सीधा एक घर से दूसरे घर में जाना प्रकट नही होता. लेकिन, नौ से दो कदम चलने पर सीधे दूसरे घर में पहुँच जाता है, यानी इकाई से दहाई में पहुंच जाते हैं. इस लिये नौ दो ग्यारह बनाया!
जहां तक बात है नौ तीन बारह न कहने की तो वो यह है कि मुहावरे का उद्देश्य भागने को प्रकट करना है, जोकि इकाई के आखिरी अंक 9 से सीधा 11 पर पहुंचने पर प्रकट हो रहा है. इसलिए नौ तीन बारह कहने से ज्यादा अर्थ नौ दो ग्यारह का बनता है.
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