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World Meteorological Day: मौसम वैज्ञानिक ऐसा क्या देखते हैं, जिससे लग जाता है बारिश-गर्मी और सर्दी का पता? नहीं जानते होंगे जवाब
World Meteorological Day: आज वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल डे है. इस मौके पर आपको बताते हैं कि आखिर मौसम वैज्ञानिक पूर्वानुमान लगाकर सटीक भविष्यवाणी कैसे कर लेते हैं.

World Meteorological Day: देश के कई इलाकों में धीरे-धीरे गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है. एक तरफ यहां साउथ में गर्मी बढ़ने लगी है, तो वहीं उत्तर भारत में भी गर्मी का प्रकोप शुरू होने जा रहा है. मौसम विभाग की मानें तो कुछ दिनों में तापमान बढ़ने वाला है. लेकिन इस बीच सवाल यह है कि आखिर मौसम विभाग ऐसी सटीक भविष्यवाणी कैसे करता है. आज वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल डे है, इस मौके पर आपको यही बताते हैं.
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हम अक्सर खबरों में पढ़ते रहते हैं कि फलां जगह बहुत बारिश होने वाली है या इस जगह पर बर्फबारी होगी या फिर शीतलहर चलेगी. तब ये सवाल मन में जरूर आता होगा कि आखिर मौसम विभाग यह अनुमान कैसे लगाता है.
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भारत में तो इस वक्त मौसम का पूर्वानुमान कंप्यूटर मॉडल और उपग्रह डाटा के जरिए लगाया जाता है. इसके लिए IMD इनसेट सीरीज के सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है.
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इन कंप्यूटर में डाटा जुटाने के लिए सबसे पहले बादलों की गति के साथ-साथ उनका तापमान और उनके घनत्व का पता लगातर उसका अध्ययन किया जाता है.
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इसके बाद सुपर कंप्यूटर इस बात की गणना करता है कि आखिर कहां पर कब और कैसा मौसम रहने वाला है.
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मौसम संबंधी पूर्वानुमान मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं- पहला तत्कालिक जो कि 24 घंटे तक होता है. दूसरा अल्प अवधि के लिए जो कि 1 से 3 दिन के लिए किया जाता है.
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इसके बाद मध्यम अवधि होती है, जो कि 4 से 10 दिन के लिए होती है और फिर आती है विस्तृत अवधि जिसकी रेंज 10 दिन होती है.
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इन चारों भविष्यवाणियों में से मध्यम अवधि की भविष्यवाणी का अनुमान सबसे सटीक होता है. इसके सच होने की संभावना 70 फीसदी तक होती है.
Published at : 23 Mar 2025 11:11 AM (IST)
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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