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जन्मदिन विशेष: जब अपने फैसलों से लालू यादव ने देश को चौंकाया

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25 जुलाई 1997 को लालू यादव ने राज्य की कमान पत्नी राबड़ी यादव को सौंपी. राबड़ी देवी के सीएम बनने के साथ ही राज्य को पहली महिला मुख्यमंत्री मिली. लालू यादव का ये ऐसा फैसला था जिससे सब दंग रह गए.
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हार्ट से संबंधित बीमारी का इलाज कराने मुंबई गए आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव अब पटना लौटे चुके हैं. पटना के जय प्रकाश नारायण एयपोर्ट से बाहर निकलते हुए लालू यादव व्हील चेयर पर दिखे थे. चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव अस्थाई जमानत पर बाहर थे. बता दें, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को झारखंड हाईकोर्ट ने छह हफ्ते की जमानत दी थी.
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राजनीति में खुद को स्थापित कर चुके लालू यादव 10 अप्रैल 1990 को सीएम की कुर्सी पर बैठे. जनता पार्टी की सरकार में सीएम बनने के बाद लालू यादव राजनीति में और ज्यादा मजबूत हुए. फोटो: यूट्यूब
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जेपी आंदोलन की पाठशाला से निकलकर लालू यादव ने पहली बार साल 1977 में संसद में कदम रखा. बिहार के छपरा से 29 साल की उम्र में लालू यादव लोकसभा के सांसद चुने गए.फोटो: इंस्टाग्राम
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सन 1973 में छात्र संघ के अध्यक्ष बने लालू यादव कैंपस की राजनीति से कदम बाहर निकालते हुए 1974 में बिहार में जेपी आंदोलन में शामिल हुए. इसी दौरान उन्होंने जनता और उससे जुड़े मुद्दे को करीब से देखा और यह सिलसिला जारी रहा.फोटो: इंस्टाग्राम
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छात्र जीवन में ही लालू यादव ने सियासत की हवा को पहचान लिया था. पटना यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में एमए की पढ़ाई के दौरान ही लालू यादव कैंपस की राजनीति में अपना छाप छोड़ चुके थे. फोटो: इंस्टाग्राम
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2015 के विधानसभा चुनाव में लालू यादव, नीतीश कुमार और कांग्रेस से मिलकर 'महागठबंधन' बनाया और चुनाव में जीत दर्ज की. इस बड़े सियासी घटनाक्रम के केंद्र में भी लालू यादव ही रहे. बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से 'महागठबंधन' को 178 सीटों पर जीत मिली. इस जीत के साथ ही नीतीश कुमार को सीएम तो बनाया गया लेकिन इसके साथ ही लालू यादव के दोनों बेटे तेजस्वी यादव (तब के उपमुख्यमंत्री) और तेज प्रताप यादव (तब के स्वास्थ्य मंत्री) का बिहार की राजनीति में पदार्पण हुआ.फोटो: इंस्टाग्राम
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2014 में पूरे देश में मोदी लहर थी जिससे बिहार अछूता नहीं रहा था. लालू यादव ने लोकसभा में चोट खाने के बाद मोदी लहर को विधानसभा में रोकने के लिए एक बार फिर सियासी मास्टर स्ट्रोक मारा. साल 2015 में बिहार की राजनीति में एक ऐसा मौका आया, जिसने राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश को हैरान कर दिया. यह घटना थी धुर विरोधी लालू यादव और जेडीयू के नीतीश कुमार का साथ में चुनाव लड़ने का फैसला करना.
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लालू यादव 1990 में सीएम बने और इस दौरान उन्हें अलग पहचान मिली. इस दौरान लालू ने बिहार के समस्तीपुर में अक्टूबर महीने में राम रथयात्रा की अगुवाई कर रहे बीजेपी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करवा सियासी गलियारें में तूफान ला था. फोटो: इंस्टाग्राम
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देश के सियासी मंच पर खुद को स्थापित कर चुके लालू यादव के जीवन में विवादों की एंट्री तब हुई जब उनपर चारा घोटाले का आरोप लगा. यह एक ऐसा दाग रहा जिसने लालू यादव की छवि को प्रभावित किया. यह घोटाला सन 1990 से लेकर सन 1997 के बीच हुआ था, तब लालू यादव बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज थे. इस आरोप के बाद लालू यादव जनता पार्टी से अलग हो गए और साल 1997 में राष्ट्रीय जनता दल का निर्माण किया.फोटो: इंस्टाग्राम
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बताते चलें, विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले में लालू को दोषी ठहराया है. जिसके बाद लालू पिछले साल 23 दिसंबर से रांची जेल में सजा काट रहे हैं. लालू यादव रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद थे. उनकी तबीयत खराब होने बाद इलाज के लिए जेल से उन्हें पहले रांची के रिम्स और बाद में दिल्ली के एम्स भेजा गया था. आराम के बाद दोबारा रांची जेल भेज दिया गया था. तब तक जमानत मिल गई और वह इलाज के लिए मुंबई पहुंचे थे.
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पिछड़ों और अल्पसंख्यों के नेता की छवि वाले लालू यादव का आज 71वां जन्मदिन है. इसी मौके पर हम आपको बता रहे हैं लालू के उन फैसलों के बारे में जब उन्होंने अपने फैसलों से देश को चौंकाया. फोटो: इंस्टाग्राम
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नयन कुमार झाराजनीतिक विश्लेषक
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