ईमानदारी की इंतहा: मिजोरम की इन दुकानों पर नहीं होता कोई दुकानदार
ये सब जान कर आपको बहुत अचरज होगा कि क्या कोई इतना ईमानदार होगा जो ये सब करे, लेकिन मिज़ोरम के लोगों की यही ईमानदारी उन्हें सब से अगल बनाती है. दरअसल वहां के किसानों का इस तरह से दुकान चलाने के पीछे एक करण है. वहां के किसान खेती कर अपना घर परिवार चले है. खेती से उपजे फल-सब्जी को बेचने के लिए दुकान तो खोल देते है लेकिन उन दुकानों पर बैठने के लिए उनके पास न ही उतना समय होता है और न ही इतना पैसा कि वे पैसे देकर किसी और को अपनी दुकान पर सामान बेचने के लिए बैठाए.
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View In Appआपको इन दुकानों में रखे हर सामानों के पास एक तख्ती रखी नजर आएगी. इस तख्ती पर उस सामान की कीमत लिखी होती जिन्हें किसान अपने सामान को बेचने का लिए रखते हैं. साथ ही बगल में एक पेटी भी पड़ी होती है जिसमे सामान खरीदेने वाले सामान खरीदने के बाद उसकी कीमत उसमें डालते हैं. यही नहीं अगर सामान खरीदने वालो के पास खुले पैसे नहीं हैं तो वही बगल में कुछ खुले पैसे भी रखे होते हैं जिसका इस्तेमाल कर ग्राहक अपने उपयोग का समान ले जा सकते हैं.
प्रकृति की गोद में बसे मिज़ोरम की राजधानी आईजोल से लगभग 65 किलोमीटर दूर में राजमार्ग के साथ लगी ऐसी कई दुकाने जहां खरीदने के लिए चीज़ें हैं, ग्राहक भी हैं लेकिन कोई दुकानदार नहीं है. मिजोरम के किसान फल, सब्जी और बाकी चीज़ों को बेचने के लिए दुकान लगाते हैं, लेकिन इन दुकानों में सामानों को बेचने के लिए वे वहां मौजूद नहीं होते.
मिज़ोरम के छोटे और मंझोले किसान जो फल, सब्जियां, फलों का रस, सूखी मछली और मीठे पानी को बेच कर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं. इन्हीं लोगों की ऐसी ईमानदारी की मिसाल है जिन्हें जान कर आप भी हैरान हो जायेंगे.
वैसे तो देश के नॉर्थ ईस्ट में बसा राज्य मिज़ोरम की प्राकृतिक सौन्दर्य, हस्तशिल्प, रसीले धान के खेत, और निर्मल झरनों के लिए जाना जाता है. लेकिन मिज़ोरम की एक खास बात और जो इस राज्य को भारत के अन्य राज्यों से अलग पहचान देती है और वो है मिज़ोरम के लोगों की ईमानदारी.
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