तमिलनाडु के लोगों ने तमिल के बाद अंग्रेजी को दूसरे स्थान पर बताया है. (तस्वीर: गूगल फ्री इमेज)
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इस साल आए आकड़ों में साफ है कि 96.71 फीसद ही देश भर में 22 भाषा को लोग पहली वरीयता के रुप में इस्तेमाल करते हैं. वहीं 3.29 फीसद लोग अन्य राज्य भाषा को पसंद करते हैं. (तस्वीर: गूगल फ्री इमेज)
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साल 2011 के आकड़ों के मुताबिक, संवैधानिक भाषा से अलग इंग्लिश को महाराष्ट्र के लोगों ने पहली पसंद बताया है. (तस्वीर: गूगल फ्री इमेज)
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आकड़ों की मानें तो उर्दू को सातवां स्थान प्राप्त हुआ है. इसे साल 2001 में 5.01 फीसद लोग इस्तेमाल करते थे लेकिन अब वहीं 4.34 फीसद लोग उपयोग करते हैं. (तस्वीर: गूगल फ्री इमेज)
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खास बात यह रही कि इस बार उर्दू को पीछे छोड़ते हुए गुजराती भाषा 4.7 फीसद के साथ छठे स्थान पर आ गई है. (तस्वीर: गूगल फ्री इमेज)
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अबकी तमिल पांचवे स्थान पर रही. (तस्वीर: गूगल फ्री इमेज)
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इनके साथ ही तेलुगू 6.93 फीसद के साथ चौथे स्थान पर है. (तस्वीर: गूगल फ्री इमेज)
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इस बार मराठी भाषा 7.09 फीसद के साथ, तेलुगू को पछाड़ते हुए तीसरे पायदान पर पहुंच गई है. (तस्वीर: गूगल फ्री इमेज)
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वहीं बांगला 8.3 फीसद के साथ दूसरे स्थान पर बनी हुई है. (तस्वीर: गूगल फ्री इमेज)
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देश भर में हिंदी बोलने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. साल 2011 के आकड़ों के मुताबिक हिंदी बोलने वालों की संख्या 43.63 फीसद है. वहीं 2001 के आकड़ों के मुताबिक यह संख्या 41.03 फीसद थी. सबसे बुरा हाल संस्कृत का है. संस्कृत भाषा को सिर्फ 24,821 लोगों ने मातृभाषा के रुप में बताया है. संविधान में 22 भाषाएं सूचीबद्ध हैं जिनमें संस्कृत सबसे कम बोली जाने वाली भाषा है. (तस्वीर: गूगल फ्री इमेज)