रिटायर होने जा रहा है तीन दशक तक बिना किसी दुर्घटना के भारत की सेवा करने वाले टोही विमान ‘टीयू142एम’
करीब तीन दशक तक देश की समुद्री सीमाओं की रखवाली करने वाले सोवियत टोही विमान ‘टीयू142एम’ रिटायर होने जा रहे हैं. खास बात ये है कि 30 हजार घंटों की उड़ान के बावजूद इन टोही विमानों ने बिना किसी दुर्घटना के 29 सालों तक नौसेना को (सफलतापूर्वक) अपनी सेवाएं दी. 29 मार्च को नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा तमिलनाडु के रजाली बेस पर एक सैन्य समारोह में इन विमानों को विधिवत विदाई देंगे. टीयू142एम की जगह अब अमेरिकी ‘लांग रेंज मैरीटाइम रेनीकॉसेन्स’ विमान, ‘पी8आई’ लेंगे.
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View In Appरजाली स्थित ‘आईएनएएस312’ में टीयू142एम स्कावर्डन की जगह अब अमेरिकी कंपनी, बोइंग के‘पी8आई’ विमान लेंगे. नौसेना ने आठ (08) पी8आई विमान खरीद लिए हैं और नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल भी हो चुके हैं. 'हंटर' के नाम से प्रचलित और स्टेट ऑफ आर्ट टेक्नोलॉजी से सुसज्जित पी8आई लड़ाकू विमान से नौसेना की शक्ति कई गुना बढ़ जायेगी. इनकी उपयोगिता को देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में चार (04) और अतिरिक्त पीआई8 विमानों को नौसेना के लिए ऑर्डर किया है. नौसेना में शामिल होते ही इन विमानों ने अपना काम भी शुरु कर दिया है. पिछले साल वायुसेना के एएन32 विमान के चेन्नई से पोर्ट-ब्लेयर जाते हुए गायब होने के बाद इन विमानों को ढूंढनें में लगाया गया था. इससे पहले मलेशिया के गायब हुए एम-370 विमान को खोजने में भी पी8आई को लगाया गया था.
चार शक्तिशाली इंजन वाला दुनिया का सबसे तेज ट्रबोप्रोप एयरक्राफ्ट, टीयू142एम को लड़ाकू विमान भी इंटरसेप्ट नहीं कर पाते थे. कैप्टन डी के शर्मा के मुताबिक, “इस विमान की तेज रफ्तार, लंबी दूरी के हथियार (हार्पून मिसाइल) और सेंसर्स ने लांग रेंज मेरीटाइम रेनीकॉसेन्स और एएसडब्लू वॉरफेयर को नया आयाम दिए और यही वजह है की टीयू142एम भारतीय नौसेना के सबसे शक्तिशाली प्लेटफार्म के तौर पर उभर कर सामने आए.”
हिंद महासागर में लगातार बढ़ रही चीनी पनडुब्बियों की मौजूदगी पर टीयू142एम विमानों ने लगातार नजर रखी. हाल ही में खुद रक्षा राज्यमंत्री सुभाषराव भामरे ने भी संसद में कहा था कि सरकार (नौसेना) हिंद महासागर में चीनी उपस्थिति से वाकिफ है और उससे निबटने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं. पिछले तीन दशकों में टीयू142एम विमानों ने मॉलद्वीप में ऑपरेशन-कैकट्स और श्रीलंका में स्पेशल-ऑपरेशन्स में हिस्सा लिया, तो ऑप-पराक्रम में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया. यहां तक की इस साल के शुरुआत में तीनों सेनाओं के साझा थियेटर लेवल युद्धभ्यास, ट्रॉपेक्स-2017 में भी हिस्सा लिया था.
नौसेना के प्रवक्ता, कैप्टन डी के शर्मा के मुताबिक, 1988 में तुपोलेव-टीयू142एम विमानों को रशिया (उस वक्त सोवियत संघ) से खरीदा गया था. इन विमानों को शुरुआत में गोवा के डाबिलम एयरबेस पर तैनात किया गया था. लेकिन 1992 में टीयू142एम विमानों की स्कवार्डन को तमिलनाडु के अराकोनम में रजाली एयरबेस पर शिफ्ट कर दिया गया था. इसी बेस से ये लॉन्ग रेंज मेरीटाइम रेनीकॉसेन्स (एलआरएमआर) और एंटी-सबमेरिन वॉरफेयर (एएसडब्लू) विमान हमारी लंबी समुद्री सीमाओं की रखवाली करते रहे.
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