मंझे हुए अभिनेता रहे ओम पुरी को पहले 'इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ प्रयाग' (आईएफएफपी), इलाहाबाद में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वैसे तो उनका काम किसी पहचान की मोहताज नहीं है, लेकिन फिर भी उन्होंने ऐसे कई अवॉर्ड्स अपने नाम किए हैं.
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किसान आत्महत्या के लिए कुख्यात महाराष्ट्र में किसानों की भलाई में जी जान से लगे नाना पाटेकर की तारीफ करने वालों में भी पुरी सबसे आगे थे. उन्होंने देश के दुखी किसानों की मदद के लिए नाना की प्रशंसा तो की ही थी, साथ ही उन्होंने कहा था कि किसानों के कल्याण के लिए और भी कदम उठाए जाने की ज़रूरत है.
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पुरी सामाजिक मुद्दों से भी जुड़े रहे हैं. इसकी बानगी है भूमि अधिग्रहण बिल जिसका विरोध करने वालों का उन्होंने यह कहते हुए समर्थन किया था कि वे आंदोलन के साथ हैं और उन्होंने उसमें सक्रिय रूप से शामिल होने की भी इच्छा प्रकट की थी.
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फिल्मी दुनिया के नामचीन अभिनेता ओमपुरी 40 साल बाद जब अपने पूर्व संस्थान नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में पहुंचे तब उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया. वे इससे अभिभूत थे और उन्होंने अपनी दबी इच्छा जाहिर करते हुए कहा था कि वे थिएयर की ओर लौटना चाहते थे.
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जाने माने अभिनेता और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) के पूर्व अध्यक्ष ओम पुरी भारतीय फिल्मों में अपशब्दों के प्रयोग के खिलाफ हैं. पुरी एक राजनैतिक कॉमेडी फिल्म 'जय हो डेमोक्रेसी' में नजर आए थे. फिल्म से जुड़ी बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था कि गालियों से फिल्म हिट नहीं होती.
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बॉलीवुड के मशहूर एक्टर ओम पुरी का हार्ट अटैक से निधन हो गया है. ओम पुरी 66 साल के थे. आज सुबह ओम पुरी ने आखिरी सांस ली. इस खबर से पूरा बॉलीवुड सदमे में है. बॉलीवुड एक्टर रजा मुराद ने एबीपी न्यूज़ से कहा है कि ये खबर सुनकर वो सुन्न हो गए हैं. अभिनेता अनुपम खेर ने भी ट्वीट करके इस पर दुख जताया है. पुरी महज एक अभिनेता नहीं थे बल्कि सिनेमा पर होने वाली बहस से लेकर सामाजिक मुद्दों तक पर वे काफी मुखर थे. आगे की स्लाइड्स में जानें ऐसी ही बातें जिन्हें लेकर पुरी ने रखी बेबाक राय-