कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से आपको दूर रखेगी ये 5 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां, जानें कैसे?
रिसर्च चल रहे हैं कि आयुर्वेद कैंसर में सीधे तौर पर कारगर है या नहीं. लहसुन: सबसे शक्तिशाली कैंसर रोधी मसाला एलियम परिवार (प्याज, शैलोट्स, स्कैलियन, लीक और चाइव्स) का सदस्य है. लहसुन प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है, जिससे सर्दी और फ्लू जैसे संक्रमणों से लड़ने में मदद मिलती है. यह कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को भी धीमा करता है
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appइसके लिए आंवला से लेकर अश्वगंधा और हल्दी से लेकर दालचीनी तक कई चीज़ों का इस्तेमाल किया जाता है. आइए जानते हैं कि वो कौन सी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां हैं जो कैंसर को रोकने में मददगार साबित होती हैं और इनके क्या-क्या फायदे हैं.
अश्वगंधा: आयुर्वेद में अश्वगंधा का इस्तेमाल जड़ी-बूटी के तौर पर किया जाता है. अश्वगंधा तनाव को कम करता है. इसमें पाए जाने वाले गुण शरीर में सूजन को कम करते हैं. भले ही अश्वगंधा कैंसर के खतरे को कम करता है, लेकिन इस पर कोई ठोस शोध नहीं हुआ है, लेकिन यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और शरीर में कोशिकाओं की वृद्धि को कम करने में मदद करता है.
आंवला: विटामिन सी से भरपूर आंवला सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. आंवला का सेवन करने से शरीर फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से सुरक्षित रहता है. आंवला प्रोइंफ्लेमेटरी कोशिकाओं की गतिविधि को कम कर सकता है. इससे ट्यूमर या कैंसर का खतरा कम हो सकता है. आपको आंवला का सेवन जरूर करना चाहिए.
हल्दी: मसाले के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली हल्दी का इस्तेमाल सूजन को कम करने और कई अन्य बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है. कई शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि हल्दी में ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को धीमा करने और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करते हैं.
गिलोय: गिलोय का इस्तेमाल आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसके इम्यूनोमॉड्यूलेटरी और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए किया जाता है. गिलोय का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. इसके अलावा यह ट्यूमर के विकास को रोक सकता है और मेटास्टेसिस के जोखिम को कम कर सकता है.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -