History Of Khaja: ऋग्वेद और चाणक्य के अर्थशास्त्र में मिला है खाजा की मिठाई का इतिहास, जानें प्रसिद्ध खाजा की पूरी कहानी
खाजा जिसे कि उत्तरप्रदेश और बिहार की फेमस मिठाईयों में से एक माना जाता है, पर आपको बतादें कि यह मिठाई बिहार में ही नहीं बल्कि उड़ीस में भी फेमस है. जी हां, खाजा को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुवाद्र को महाप्रसाद के रूप में भोग लगाया जाता है. आखिर खाजा का यह सफर नॉर्थ से उड़ीसा तक कैसे पहुंचा. आइए इसके पीछे के इतिहास और रोचक तथ्यों के बारे में जानें.
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View In Appखाजा की उत्पति का इतिहास सिद्धांतों की माने तो खाजा काकीनाडा, आंधप्रदेश से दो तरह की वैरायटी मदतखाजा और गोट्टमखाजा के रूप में पुरी पहुंचा. वहीं दूसरे सिद्धांत की बात करे जो कि ज्यादा फेमस है कि खाजा मौर्य वंश से जुडत्रा हुआ है. जिसका मूल स्थान गंगा नदी के दक्षिण में है.
अब खाजा की मिलती है कई वैरायटी आज कल खाजा को आटा नहीं बल्कि मैदा से तैयार किया जाता है, जिसकी बाजार में कई वैरायटी मौजूद है. नालंदा के सिलाओं से भले ही खाजा आया हो पर कई सालों से स्थानिय लोगों के अलग अलग प्रयोगों ने खाजा को भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद बना दिया.
खाजा के लिए इस गांव को मिला हुआ है जीआई का टैग खाजा नालंदा के शहर सिलाओ की फेमस मिठाई है. ऐसा मानना है कि यह 2000 बीसी पुराठी मिठाई है, इसलिए भी इस शहर के बने खाजा को जीआई टैग मिला है.
ऋग्वेद में किया गया है खाजा का उल्लेख इस बात को आपको जानकर हैरानी होगी कि यह मिठाई आज की नहीं बल्कि ऋग्वेद और चाणक्य के अर्थशास्त्र में भी उल्लेख की गई है. इसमें मैदा की जगह गेहूं की परतदार मिठाई का उल्लेख किया गया है.
कई दिनों तक नहीं होता खराब बाहर से सूखा और अंदर से चाशनी वाला यह खाजा एक दिन तक नहीं बल्कि कई समय तक नहीं होता है खराब.
खाजा भारत के अलावा अन्य देशों में भी है फेमस खाजा जिसे मिठाइयों का राजा कहा जाता है, यह केवल भारत में ही नहीं बल्कि यह देशों में भी फेमस है.
गौतम बुद्ध को बहुत पंसद था खाजा लोगों का मानना है कि भगवान बुद्ध को खाजा काफी पसंद था. साथ ही वह इसे दूध में क्रश कर के अपने अलावा अध्ययन करने वाले भिक्षुओं को भी दिया करते थे. शायद यही कारण रहा हो कि पुरी में भी खाजा ने अपने पैर जमा लिए हो और वहां की फैमस मिठाई में से एक बन गया हो.
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