6-23 महीने की उम्र के 77 प्रतिशत भारतीय बच्चे को नहीं मिल रही है सही डाइट
सिक्किम और मेघालय जैसे राज्य की स्थिति ऐसी है जहां पर 50 प्रतिशत से कम बच्चों को सही तरीके से डाइट नहीं मिलती है. WHO का न्यूनतम डाइट स्कोर बताता है कि एक बच्चे के डाइट में कम से कम इन डाइट को शामिल होने चाहिए. जैसे अगर कोई महिला ब्रेस्ट फीडिंग करवा रही हैं. तो उन्हें अंडे, दाल, नट्स फल और सब्जियां खाने चाहिए.
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View In Appरिसर्च के मुताबिक 2019-21 के बीच किए गए राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों का इस रिसर्च में उपयोग किया गया है. नेशनल मेडिकल जर्नल ऑफ इंडिया में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक 2005-06 (NFHS-3) में 87.4 प्रतिशत से हाल के सालों में इसमें 75 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. जोकि एक चिंता का विषय है.
एनएफएचएस-3 में लगभग 5 प्रतिशत से एनएफएचएस 5 में 17 प्रतिशत तक अंडे की खपत में वृद्धि देखी गई है. दाल, नट्स 14 प्रतिशत से अधिक 17 प्रतिशत हो गया है. विटामिन ए से भरपूर फल और सब्जियों में 7.3 प्रतिशत अंक तक कि वृद्धि देखने को मिली है.
मांस खाने की खपत में 4 प्रतिशत तक कि बढ़ोतरी देखी गई है. स्तनपान 87 प्रतिशत से 85 प्रतिशत और डेयरी प्रोडक्टों में 54 प्रतिशत से 52 प्रतिशत तक कि बढ़ोतरी देखी गई है.
गांवों में रहने वाले बच्चे जिनके पास अभी तक मीडिया पहुंच नहीं पाई है उन्हें सही डाइट न मिलने की संभावना और भी अधिक है. आंगनवाड़ी या एकीकृत बाल विकास सेवा केंद्रों में परामर्श या स्वास्थ्य जांच के लिए बच्चों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
जिन बच्चों का वजन जन्म से ही कम है. उन्हें सही डाइट की कमी का खतरा शुरू से ही होता है. रिसर्च ने इन मुद्दों को हल करने के लिए सरकार को एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी है.
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