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थूक या पानी निगलने में हो रही है परेशानी तो खाने की नली में है ये गंभीर बीमारी

सर्दी जुकाम में गले में दर्द आम बात है. कभी- कभी यह दर्द कुछ समय तक रहता है और फिर गर्म पानी से गार्गल करने के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है.

सर्दी जुकाम में गले में दर्द आम बात है. कभी- कभी यह दर्द कुछ समय तक रहता है और फिर गर्म पानी से गार्गल करने के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है.

निगलने में कठिनाई

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सर्दी जुकाम में गले में दर्द आम बात है. कभी- कभी यह दर्द कुछ समय तक रहता है और फिर गर्म पानी से गार्गल करने के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है. लेकिन अगर आपके गले में काफी समय तक दर्द है और आपको थूक निगलने में, पानी पीने में तकलीफ हो रही है तो आप डिस्फ़ेज़िया जैसी गंभीर बीमारी के शिकार हो सकते हैं.
सर्दी जुकाम में गले में दर्द आम बात है. कभी- कभी यह दर्द कुछ समय तक रहता है और फिर गर्म पानी से गार्गल करने के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है. लेकिन अगर आपके गले में काफी समय तक दर्द है और आपको थूक निगलने में, पानी पीने में तकलीफ हो रही है तो आप डिस्फ़ेज़िया जैसी गंभीर बीमारी के शिकार हो सकते हैं.
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डिस्फ़ेज़िया का मतलब होता है कोई भी चीज निगलने में तकलीफ़. थूक, पानी या अगर खाना निगलने में तकलीफ़ होती है, तो उसे डिस्फ़ेज़िया कहते हैं. डिस्फ़ेज़िया तीन कारणों से हो सकता है. यंग पेशेंट्स खासकर महिलाओं में डिस्फ़ेज़िया के कई केसेस देखे गए हैं लेकिन वक्त रहते ये ठीक हो जाता है. वहीं मर्दों में डिस्फ़ेज़िया बीमारी काफी समय तक रहती है. ब्रेन स्ट्रोक,नसें सूखने की बीमारी वाले मरीज जब डिस्फ़ेज़िया का शिकार होते हैं तो उन्हें खाना और पानी दोनों निगलने में काफी तकलीफ होती है.
डिस्फ़ेज़िया का मतलब होता है कोई भी चीज निगलने में तकलीफ़. थूक, पानी या अगर खाना निगलने में तकलीफ़ होती है, तो उसे डिस्फ़ेज़िया कहते हैं. डिस्फ़ेज़िया तीन कारणों से हो सकता है. यंग पेशेंट्स खासकर महिलाओं में डिस्फ़ेज़िया के कई केसेस देखे गए हैं लेकिन वक्त रहते ये ठीक हो जाता है. वहीं मर्दों में डिस्फ़ेज़िया बीमारी काफी समय तक रहती है. ब्रेन स्ट्रोक,नसें सूखने की बीमारी वाले मरीज जब डिस्फ़ेज़िया का शिकार होते हैं तो उन्हें खाना और पानी दोनों निगलने में काफी तकलीफ होती है.
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आपको बता दें कि डिस्फ़ेज़िया तब होता है जब खाने की नली पूरी तरह से बंद हो जाए या उसका रास्ता पतला हो जाए.वहीं डिस्फ़ेज़िया भयानक रूप तब लेता है जब खाने की नली में ट्यूमर हो जाए. ऐसे में डिस्फ़ेज़िया धीरे- धीरे बढ़ जाता है और मरीज को सूखा खाना खाने में भी तकलीफ होने लगती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि मरीज लार तक नहीं निगल पाता है.  पानी या लार तक न निगल पाना एक संकेत है कि खाने की नली में कैंसर हो सकता है.
आपको बता दें कि डिस्फ़ेज़िया तब होता है जब खाने की नली पूरी तरह से बंद हो जाए या उसका रास्ता पतला हो जाए.वहीं डिस्फ़ेज़िया भयानक रूप तब लेता है जब खाने की नली में ट्यूमर हो जाए. ऐसे में डिस्फ़ेज़िया धीरे- धीरे बढ़ जाता है और मरीज को सूखा खाना खाने में भी तकलीफ होने लगती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि मरीज लार तक नहीं निगल पाता है. पानी या लार तक न निगल पाना एक संकेत है कि खाने की नली में कैंसर हो सकता है.
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डिस्फ़ेज़िया या गले में कैंसर होने पर फ्लेक्सिवक ट्यूब की मदद से एंडोस्कोपी की जाती है. यह एक ट्यूब होता है जिसके एक ओर कैमरा लगा होता है.
डिस्फ़ेज़िया या गले में कैंसर होने पर फ्लेक्सिवक ट्यूब की मदद से एंडोस्कोपी की जाती है. यह एक ट्यूब होता है जिसके एक ओर कैमरा लगा होता है.
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ट्यूब के पहला सिरा मरीज के मुंह में डाला जाता है और इलाज किया जाता है. यह टेस्ट 2-3 मिनट के अंदर की जाती है. यह एक साधारण टेस्ट है इससे घबराना नहीं चाहिए. बायोप्सी तब की जाती है जब पता लगाना होता है कि मरीज का कैंसर किस टाइप का है यह टेस्ट डॉक्टर इसलिए करते हैं ताकि ट्यूमर के साइज का पता लगाया जा सके.
ट्यूब के पहला सिरा मरीज के मुंह में डाला जाता है और इलाज किया जाता है. यह टेस्ट 2-3 मिनट के अंदर की जाती है. यह एक साधारण टेस्ट है इससे घबराना नहीं चाहिए. बायोप्सी तब की जाती है जब पता लगाना होता है कि मरीज का कैंसर किस टाइप का है यह टेस्ट डॉक्टर इसलिए करते हैं ताकि ट्यूमर के साइज का पता लगाया जा सके.

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