क्या बीपी कम करने के लिए आप भी खाते हैं दवा, कहीं आप भी तो नहीं दे रहे कार्डियक अरेस्ट को दावत
खराब लाइफस्टाइल और गड़बड़ खानपान के साथ ही हेल्थ के प्रति लापरवाही की वजह से ब्लड प्रेशर यानी BP की समस्या बढ़ती जा रही है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) का अनुमान है, भारत में हर चार में से एक वयस्क हाई बल्ड प्रेशर की समस्या से जूझ रहा है. जून 2023 में आई ICMR-इंडिया डायबिटीज की स्टडी में बताया गया कि देश में 3.15 करोड़ लोग हाई ब्लड प्रेशर के मरीज है.
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View In Appबीपी के मरीज अपना ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए अलग-अलग उपाय अपनाते हैं. कुछ पेशेंट्स बीपी की दवाईयां भी खाते हैं, जो खतरनाक हो सकती है. इससे कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) का खतरा रहता है. इसलिए अगर आप भी ऐसी गलती कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए.
एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा सडन कार्डियक अरेस्ट (Sudden (Cardiac Arrest)) के खतरे को बढ़ा सकती है. इस स्टडी में दवा के इस्तेमाल के समय सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. स्टडी में कहा गया है कि सडन कार्डियक अरेस्ट एक गंभीर मेडिकल इमरजेंसी है, जब दिल धड़कना बंद कर देता है. इससे ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है. ये कंडीशन जानलेवा भी हो सकती है.
यूरोपियन सडन कार्डिएक अरेस्ट नेटवर्क के शोधकर्ताओं के अध्ययन में दो दवाईयों निफ़ेडिपिन और एम्लोडिपिन को शामिल किया गया. दोनों दवाओं का इस्तेमाल हाई बीपी और सीने में दर्द में किया जाता है. शोधकर्ताओं ने 2,503 एससीए मरीजों के डेटा का विश्लेषण कर, इसकी तुलना नीदरलैंड के 10,543 हेल्दी लोगों से की. जो नतीजे मिले वो काफी चौंकाने वाले थे.
इसमें पाया गया कि रोजाना निफेडिपिन की 60 मिलीग्राम खुराक ही खतरनाक हो सकती है. इतनी मात्रा में दवा लेने वालों में सडन कार्डियक अरेस्ट का खतरा काफी ज्यादा थी.जबकि एम्लोडिपाइन को लेकर ऐसा कोई रिस्क नहीं पाया गया.
शोधकर्ताओं ने सिर्फ दो दवाईयों पर अपना अध्ययन किया. उन्होंने डॉक्टरों से निफ़ेडिपिन की हाई डोज को लेकर अलर्ट रहने की अपील की है. खासकर हार्ट पेशेंट्स के लिए. इसके साथ ही मरीजों से भी इन लक्षणों की निगरानी करने की अपील की है. सीने में दर्द, सांस की तकलीफ या मतली जैसी समस्याओं को लेकर लापरवाही न करने की सलाह दी गई है. हालांकि, अध्ययन किसी भी इलाज के फायदे और रिस्क को बताया है. शोधकर्ताओं का मानना ैह कि इस तरह की बाकी दवाईयों को लेकर अभी स्टडी की जरूरत है.
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