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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
सिर्फ मीठा खाने से ही नहीं इस आदत की वजह से भी बढ़ रहा डायबिटीज का खतरा, आज ही संभल जाएं
डायबिटीज आज आम बीमारी बनती जा रही है. ज्यादातर लोगों को लगता है कि इसके लिए चीनी जिम्मेदार होता है. यह सच भी है कि ज्यादा मीठा खाने से शुगर की बीमारी होती है लेकिन नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि प्लास्टिक की बोतल के इस्तेमाल से भी डायबिटीज का खतरा है. इसमें खतरनाक केमिकल पाया जाता है, जो खतरनाक बीमारियों का कारण बन सकता है.
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View In Appडायबिटीज' नाम के जर्नल में पब्लिश इस अध्ययन में पाया गया कि खाने और पीने के पैकेट्स बनाने में बीपीए केमिकल का इस्तेमाल होता है, जो प्लास्टिक की पानी की बोतलों में पाया जाता है. शरीर में शुगर बैलेंस करने हॉर्मोन इंसुलिन के प्रति सेंस्टिविटी कम कर सकता है. आइए जानते हैं क्या कहता है रिसर्च...
पहले हुए अध्ययनों में पाया गया है कि प्लास्टिक और एपॉक्सी रेजिन बनाने में बिस्फेनॉल A (BPA) केमिकल का इस्तेमाल होता है, जो शरीर में हॉर्मोन्स के बैलेंस को बिगाड़ सकता है. पहली बार किसी रिसर्च में BPA को डायबिटीज से जोड़ा गया है, लेकिन पहले किसी अध्ययन में इसका सीधा परीक्षण नहीं किया गया था.
कैलिफोर्निया पॉलिटेक्निक स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह पहला ऐसा अध्ययन है, BPA से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ने की आशंका जताई गई है.
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 40 हेल्दी पार्टिसिपेंट्स को शामिल कर दो ग्रुप बनाया. एक ग्रुप को प्लेसीबो और दूसरे को प्रति किलो ग्राम वजन के अनुसार रोजाना 50 माइक्रोग्राम BPA दिया गया. जिसमें बीपीए लेने वालों में चार दिनों बाद इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता कम हुई, जबकि निष्क्रिय पदार्थ प्लेसीबो में ऐसा नहीं हुआ.
अध्ययन में बताया गया है कि स्टेनलेस स्टील या कांच की बोतलों के इस्तेमाल से बीपीए का खतरा कम किया जा सकता है, जिससे डायबिटीज का चिंता कम हो सकता है. प्लास्टिक की बोतलों से जितना हो सके, बचना चाहिए. बता दें कि हाल ही में इको-एनवायरनमेंट एंड हेल्थ जर्नल में पब्लिश एक अन्य स्टडी में पाया गया कि धूप में पड़ी प्लास्टिक की पानी की बोतलें खतरनाक केमिकल्स छोड़ सकती हैं, जिनमें n-hexadecane जैसे कैंसर पैदा हो सकते हैं.
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