Dengue: जानवरों को भी काटते हैं मच्छर, तो क्या उन्हें भी होता है डेंगू और मलेरिया?
मच्छर जानवरों द्वारा छोड़े जाने वाले कार्बन डाइऑक्साइड को महसूस कर सकते हैं. फिर भी, मच्छर लोगों को कैसे पहचानते हैं. यह कई सारे रिसर्च में सामने आई है लेकिन क्या आपको पता है फिमेल एडीज एजिप्टी मच्छर जानवरों की गंध की तुलना में इंसान की गंध को अधिक पसंद करती हैं, लेकिन वे यह अंतर कैसे करती हैं. यह अभी तक पता नहीं चल पाया है.
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View In Appप्रिंसटन विश्वविद्यालय में NIH के एक रिसर्च टीम ने यह पता लगाने की कोशिश की मच्छर इंसान और जानवर में गंध के जरिए कैसे पता लगाती है.
मच्छर अपने एंटीना, मुखपत्र और मैक्सिलरी पैल्प्स में हज़ारों संवेदी न्यूरॉन्स में रिसेप्टर्स का उपयोग करके गंध का पता लगा लेती है.
एक ही गंध रिसेप्टर्स द्वारा ट्रिगर किए गए न्यूरॉन्स मच्छर के मस्तिष्क के एंटीना लोब में एक ही क्षेत्र से जुड़ते है.. इनमें से प्रत्येक विशिष्ट क्षेत्र को ग्लोमेरुलस कहा जाता है. मच्छर जब इंसान के गंध का पता लगाते हैं तो उनका ग्लोमेरुलस एक्टिव हो जाता है. वहीं जानवर को भी उनके गंध से वो पहचान लेते हैं. लेकिन इंसान की तरह जानवर को बीमार नहीं कर पाता है.
जानवरों को मलेरिया, डेंगू जीका तो नहीं होता लेकिन मच्छर उन्हें भी काटते हैं. मच्छर जानवरों के पैर पर ज्यादा काटते हैं. जिसके कारण वह ठीक से घास नहीं खा पाते है. कई बार ऐसा देखा गया है कि मच्छर जानवरों के पैर ऐसा काटते हैं कि पैर से ब्लड आने लगता है.
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