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क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग? कहीं बन ना जाएं ये मौत का कारण, जानें इससे होने वाले नुकसान के बारें में
अक्सर लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग मोटापा कम करने के लिए करते हैं लेकिन इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे की इंटरमिटेंट फास्टिंग कुछ लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है.

इंटरमिटेंट फास्टिंग हर किसी के लिए सहीं नहीं होती है, इससे कुछ लोगों को नुकसान पहुंचता है. फास्टिंग करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
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आजकल लोग मोटापे से काफी परेशान रहते हैं, इससे बचने के लिए वह कई प्रयास करते हैं जैसे - दवाइयों का सेवन, भोजन नहीं करना या इंटरमिटेंट फास्टिंग. लेकिन क्या आप जानते हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है.
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जो लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं उनको दिल की बीमारी का खतरा अधिक बढ़ होता है. इंटरमिटेंट फास्टिंग में लोग 12 से 16 घंटे का फास्ट रखते हैं, जिससे वह अपने वजन पर नियंत्रण रख सके, लेकिन एक रिसर्च में पाया गया कि ऐसा करना हार्ट संबंधित बीमारियों को जन्म देता है.
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हेल्थ एक्सपर्ट ने जानकारी दी है, कि इंटरमिटेंट फास्टिंग हर किसी के लिए सही नहीं होता है. इससे फैटी लीवर की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है. इंटरमिटेंट फास्टिंग में खाने-पीने की समय को कंट्रोल में किया जाता है.
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इंटरमिटेंट फास्टिंग कुछ लोगों के लिए फायदेमंद होती है, तो वहीं कुछ लोगों को नुकसान पहुंचती है. ऐसा करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
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एक्सपर्ट्स की मानें तो इंटरमिटेंट फास्टिंग जानलेवा भी हो सकता है. एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग दिन में 16 घंटे फास्टिंग करते हैं और सिर्फ 8 घंटे के बीच खाना खाते हैं उनको हार्ट डिजीज से मौत का खतरा 91% तक बढ़ जाता है.
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इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से कमजोरी, मूड स्विंग्स, जोड़ों में दर्द, भूख लगना, चक्कर आना, तनाव होना जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती है. यही नहीं कुछ लोगों को ऐसा करने से डायबिटीज और हार्ट अटैक का रिस्क रहता है.
Published at : 22 Mar 2024 07:56 AM (IST)
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नयन कुमार झाराजनीतिक विश्लेषक
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