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हाई राइज बिल्डिंगों में रहने वाले लोगों पर पॉल्यूशन का ज्यादा होता है असर? जानें क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट
आज हम इस आर्टिकल के जरिए जानेंगे कि हाई राइज बिल्डिंगों में रहने वाले लोगों पर एयर पॉल्यूशन का क्या असर होता है? जानें हेल्थ एक्सपर्ट की राय

अगर आप किसी ऊंची इमारत की 16वीं मंजिल से ऊपर रहते हैं. तो आपको शहर के शानदार नज़ारे देखने को मिल सकते हैं और शायद आपको मुंबई, पुणे या दिल्ली जैसे शहरों से अलग होने का एहसास भी हो सकता है. लेकिन उन शहरों में बढ़ते AQI और बढ़ते प्रदूषण के स्तर के साथ, विशेषज्ञों का कहना है कि ऊंचाई पर रहने से आप वायु प्रदूषण से सुरक्षित नहीं रहेंगे.
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पुणे के पिंपरी स्थित DPU सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के आपातकालीन चिकित्सा निदेशक डॉ. तमोरिश कोले के अनुसार, अधिक ऊंचाई पर रहने से सभी पर्यावरणीय खतरे दूर नहीं होते हैं. ग्राउंड-लेवल ओजोन प्रमुख प्रदूषकों में से एक है, जो मौसम की स्थिति के आधार पर अधिक ऊंचाई पर बढ़ सकता है और जम सकता है.
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यह वहां रहने वाले लोगों को सांस संबंधी परेशानियां भी पैदा कर सकता है. यह ओजोन समय से पहले मृत्यु, क्षतिग्रस्त फेफड़े, हृदय रोग, प्रजनन संबंधी समस्याओं सहित प्रजनन क्षमता में कमी और कैंसर का कारण बनता है. इसके अलावा, भवन निर्माण सामग्री या साज-सज्जा से निकलने वाले वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) और इनडोर प्रदूषक वेंटिलेशन के बिना किसी भी स्तर पर बने रहते हैं.
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जब हमने रूबी हॉल क्लिनिक में ईएनटी कंसल्टेंट डॉ. मुरारजी घाडगे से बात की, तो उन्होंने कहा कि आम धारणा है कि ऊंचाई पर हवा की गुणवत्ता बेहतर होगी क्योंकि ऊंचाई पर हवा कम घनी होती है, लेकिन मुंबई, पुणे और दिल्ली जैसे शहरों में ऐसा अक्सर नहीं होता जहां प्रदूषण बहुत ज़्यादा है.
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लंबी दूरी के प्रदूषक जैसे कि महीन कण पदार्थ (PM2.5) बहुत दूर से भी ऊँची मंजिलों तक पहुँच जाते हैं. प्रदूषक PM2.5 बहुत गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कि श्वसन संबंधी समस्याएं, हृदय संबंधी रोग और कैंसर से जुड़ा है, जो कि ऊंचाई पर भी पूरी हवा में पाया जा सकता है.
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हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, वाहनों और उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन के मामले में पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों जैसे प्रदूषक हवा के प्रवाह द्वारा इमारत की कई मंजिलों तक पहुंच सकते हैं. इसलिए, हो सकता है कि आप 20वीं मंजिल पर रह रहे हों और आपकी साँस लेने वाली हवा अत्यधिक प्रदूषित हो.
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वायु प्रदूषण के गुबार आम तौर पर ज़मीन के नज़दीक ही रहते हैं या ज़्यादातर शहरी इलाकों में पाए जाते हैं, जहां जनसंख्या वृद्धि और यातायात की स्थिति ज़्यादा होती है. इससे ऐसी इमारतों को दिन के समय किसी ख़ास समय पर हवा से चलने वाले धुएं के उच्च स्तर का सामना करना पड़ सकता है, या वायुमंडल में वायु द्रव्यमान की गति की दिशाओं के संबंध में विशेष पैटर्न बन सकते हैं.
Published at : 28 Nov 2024 11:10 AM (IST)
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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