जानें किस उम्र तक पैरेंट्स को बच्चों के साथ सोना कर देना चाहिए बंद, जानिए क्यों?
बच्चों के साथ सोना, जिसे हम 'को-स्लीपिंग' भी कहते हैं, बहुत से परिवारों में एक आम बात है. यह नवजात शिशुओं के साथ शुरू होता है और कई बार बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ भी जारी रहता है. लेकिन, एक उम्र के बाद इसे बंद कर देना चाहिए. आइए जानते हैं कि यह उम्र क्या है और क्यों इसे बंद करना महत्वपूर्ण है.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appकई माता-पिता सोचते हैं कि उनके बच्चे को कब तक अपने साथ सुलाना चाहिए. यह सवाल अक्सर उनके मन में आता है. सच तो यह है कि इसका कोई एक जवाब नहीं है. हर परिवार की स्थिति अलग होती है और हर बच्चा भी अलग होता है. लेकिन, अगर हम एक सामान्य राय की बात करें, तो ज्यादातर विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सात से आठ साल की उम्र के बीच में बच्चों को धीरे-धीरे अपने बिस्तर से अलग सुलाना शुरू कर देना चाहिए.
इस उम्र में बच्चे थोड़े बड़े हो जाते हैं और उनमें आत्मनिर्भरता की भावना विकसित होने लगती है. उन्हें अपने कमरे में सुलाने से उन्हें खुद पर भरोसा बढ़ता है और वे अपने डर से लड़ना सीखते हैं.
स्वतंत्रता और आत्म-निर्भरता: अलग सोने से बच्चों में स्वतंत्रता और आत्म-निर्भरता की भावना विकसित होती है. वे अकेले सोने के डर से बाहर निकलते है.
बेहतर नींद की गुणवत्ता: जब बच्चे अकेले सोते हैं, तो उनकी नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है. इससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास भी बेहतर होता है.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -