Char Dham Temple: उत्तराखंड में स्थित हैं ये छोटे चार धाम, यहां दर्शन मात्र से ही होता है भक्तों का बेड़ापार
उत्तराखंड चार छोटे धामों के लिए जग भर में फेमस है. यहां पर गंगोत्र, यमनौत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे तीर्थ स्थलों को छोटे चार धाम के नाम से भी जाना जाता है. हर साल इन तीर्थ स्थलों पर हजारों यात्री दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. आइए जानते हैं इनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें.
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View In Appयमुनोत्री: यमनोत्री छोटे चारधाम यात्रा का पहला पड़ाव है. इसका निर्माण जयपुर की महारानी गुलेनिया ने 19वीं शताब्दी में करवाया था. यमुनोत्री में कई कुंड मौजूद हैं जिनमें गर्म पानी बहता है. गर्म पानी के इस कुंड में भक्त चावल को इस कपड़े में बांधकर पकाते हैं और प्रसाद के रूप में ही इसे ग्रहण किया जाता है. हर साल इस मंदिर को अक्षय तृतीया के दौरान खोला जाता है. वहीं, दिवाली के दिन यहां पर विशेष पूजा की जाती है.
गंगोत्री: माना जाता है कि राजा भागीरथ की कठोर तपस्या के बाद ही गंगा नदी पृथ्वी पर आईं और गंगोत्री में उन्हें भागीरथी का नाम दिया गया. बता दें कि गंगोत्री ग्लेशियर में मौजूद गोमुख से गंगा नदी निकलती हैं. गंगोत्री मंदिर के लिए दर्शन के द्वार अक्षय तृतीया पर खुलते हैं और दिवाली के बाद इन्हें बंद कर दिया जाता है.
बद्रीनाथ: बद्रीनाथ को लेकर मान्यता है कि आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में बद्रीनाथ को तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित किया. आज ये मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. 16वीं शताब्दी में गढ़वाल के राजा ने बद्रीनाथ की मूर्ति वर्तमान मंदिर में स्थानांतरित कर दी थी. ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु इस मंदिर में छह माह निद्रा में रहते हैं और 6 माह जागते हैं.
केदारनाथ: मान्यता है कि केदारनाथ का पहला संदर्भ स्कंद पुराण में मिला. केदारनाथ मंदिर को लेकर एक मान्यता ये भी है कि यहां भगवान शिव ने अपने बालों से पवित्र गंगा नदी के जल को यहां छोड़ा था.बता दें कि केदारनाथ का ये मंदिर उत्तराखंड के मंदाकिनी तट पर स्थित है. अगर आप भी मंदिर के दर्शन के लिए जाना हैं तो अप्रैल से नवंबर के बीच ही यहां के लिए प्लान बनाएं. क्योंकि ज्यादा ठंड में बर्फ पड़ने के कारण इसे बंद कर दिया जाता है.
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