Shri Krishna Leela: कृष्ण की इन 5 बाल लीलाओं में छिपा है बच्चों की सेहत का राज
छोटे नटखट कान्हा की बाल लीलाओं में स्वस्थ रहने का रहस्य छिपा है. कान्हा रोजाना अपने सखा की टोली संग मिलकर चुपके-चुपके से माखन चुराकर खाते थे. इसलिए उनका नाम माखनचोर पड़ा. बच्चों के शारीरिक विकास और उन्हें ताकतवर बनाने के लिए माखन अच्छा होता ह.
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View In Appबाल गोपाल को गाय से अति प्रेम था. वह बड़े उत्साह से गाय का घी, दही, दूध का सेवन करते थे. एक बार तो कान्हां ने गाय के थन में मुंह लगाकर ही दूध ग्रहण किया था. गाय का दूध, दही और घी आदि, इन्हे पंचगव्य कहते हैं. इन्हीं पंच तत्वों का सेवन करने पर बच्चों का दिमाग तेज और हडि्डयों में ताकत आती है.
श्रीकृष्ण अक्सर अपने मित्र मंडली के साथ अक्सर आऊटडोर गेम खेला करते थे. कभी पेड़ पर चढ़कर बांसूरी बजाते तो कभी पेड़ से नदी में छलांग लगाते. उनकी इस लीला में व्यायाम का राज छिपा है. जो बच्चों के लिए आवश्यक है. शारीरिक गतिविधि से बेहतर शरीर के साथ मानसिक विकास बहुत तेजी से होता है.
श्रीकृष्ण का प्रकृति से प्रेम जगजाहिर है. सुबह जल्दी प्रकृति के गोद में ठहलने से बच्चे स्वस्थ और मजबूत बनते है साथ ही ये उन्हें कई सारी घातक बीमारीयों से बचाता है.
श्रीकृष्ण जब बांसुरी बजाते थे तो पूरा गोगुल मंत्रमुग्ध हो जाता था, बांसुरी इस बात का संदेश देती है कि हमेशा मीठी ही बोलो. बांसुरी बिना बजाए बजती नहीं, कहने का तात्पर्य ये है कि जब तक जरुरत न हो अनावश्यक न बोलो.
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