International Women's Day 2023: पार्वती, सीता, शबरी, कौशल्या और गंधारी ने अपने गुणों से बनाया स्थान, इनके जीवन से मिलती है प्ररेणा
पार्वती मां पर्वतराज हिमावन और मैना की पुत्री है. मैना और हिमावन ने आदिशक्ति के वरदान से आदिशक्ति को कन्या के रूप में प्राप्त किया. उनका नाम पार्वती रखा गया. वह आदिशक्ति थी. इन्हीं को उमा, गिरिजा और शिवा के नाम से भी जानते हैं.
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View In Appत्रेता युग में जब भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में जन्म लिया तो माता लक्ष्मी ने सीता के रूप में. माता सीता ने अपने जीवन में उच्च आदर्शों की स्थापना की तथा समाज को कई संदेश भी दिए .उन्होंने हमेशा धैर्य और संयम से काम लिया व भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए ही निर्णय लिए.
शबरी का असली नाम “श्रमणा” था. ये भील सामुदाय के शबर जाति से संबंध रखती थीं इसी कारण कालांतर में उनका नाम शबरी हुआ. शबरी का उल्लेख रामायण में भगवान श्री राम के वन-गमन के समय मिलता है. शबरी को श्री राम के प्रमुख भक्तों में माना जाता है.अपनी वृद्धावस्था में शबरी हमेशा श्री राम के आने की प्रतीक्षा करती रहती थी.
कौशल्या कौशल प्रदेश की राजकुमारी और अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी और देव माता अदिति का अवतार थीं. कौशल्या नाम का खास महत्व है क्योंकि इसका मतलब भगवान राम, प्रतिभा, कल्याण,राम की मां है जिसे काफी अच्छा माना जाता है.
गांधारी गांधार देश के 'सुबल' नामक राजा की कन्या थीं. गांधार की होने के कारण उसे गांधारी कहा जाता था. वह हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र की पत्नी और दुर्योधन आदि कौरवों की माता थीं. गांधारी देख सकती थीं लेकिन पति के आंखों से विकलांग होने के कारण उन्होंने अपनी आंखों पर हमेशा के लिए एक पट्टी बांध ली थी.
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