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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Mahavir Jayanti 2022: आज है जैन समुदाय का प्रमुख पर्व महावीर जयंती, जानें भगवान महावीर के ये पांच सिद्धांत
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी भगवान का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन हुआ था. इस साल 14 अप्रैल के दिन देशभर में महावीर जंयती का पर्व मनाया जा रहा है.
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View In Appआज महावीर भगवान की जन्म दिवस के अवसर पर हम जानेंगे कैसे मनाई जाती है महावीर जयंती और भगवान के पांत सिद्धांतों के बारे में.
देशभर में जैन समुदाय के लोग बड़े धूम-धाम के साथ महावीर जयंती का पर्व मनाते हैं. इस दिन भगवान की मूर्ति को रथ में रखकर जूलुस निकाले जाते हैं और जगह- जगह भंडारे किए जाते हैं.
अंहिसा का भाव- महावीर भगवान अहिंसा के पुजारी थे. उनका मानना था कि धरती पर सभी को समान जीने का अधिकार है. एक, दो, तीन, चार और पांच इंद्रिय वाले जीवों की हिंसा नहीं करनी चाहिए. उन् कहीं जाने से नहीं रोकना चाहिए.
सत्य- भगवान महावीर का दूसरा सिद्धांत सत्य का पालन करना है. व्यक्ति को सत्य का मार्ग जरूर अपनाना चाहिए. झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए.
अपरिग्रह- तीसरा सिद्धांत है अपरिग्रह. इस सिद्धांत को लेकर भगवान महावीर का कहना है कि जो व्यक्ति निर्जीव चीजों या फिर जरूरत से ज्यादा संग्रह करता है, ऐसे व्यक्ति को दुखों से छुटकारा कभी हीं मिल सकता. सुख और शांति भरा जीवन जीने के लिए व्यक्ति को जितनी जरूरत है उतना ही संग्रह करना चाहिए.
अस्तेय- अस्तेय का पालन करने वाले लोग हमेशा जीवन में संयम रखते हैं. और सिर्फ वही वस्तु लेते हैं, जो उन्हें दी जाती है. अस्तेय का मतलब है चोरी न करना. चोरी का अर्थ सिर्फ भौतिक चीजों की चोरी ही हीं है, बल्कि नियत खराब भी न करें. अगर आप दूसरी की सफलताओं से विचलित होकर गलत रास्ता अपनाने लगें, तो इसे भी एक प्रकार की चोरी कहा जाता है.
ब्रह्मचर्य- ब्रह्मचर्य संदेश को लेकर भगवान महावीर ने बहुत ही अमूल्य संदेश दिए हैं. ब्रह्मचर्य का अर्थ है अपनी आत्मा में लीन हो जाना या अपने अंदर छिपे ब्रह्म को पहचानना. बाहर के लोग आपको परेशान करते हैं. लेकिन इन सब को छोड़कर अगर आप अपने मन की सुनेंगे और शांति की दिशा में काम करेंगे,तो ये भी एक ब्रह्मचर्य है.
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