Navratri Garba: नवरात्रि में क्यों किया जाता है गरबा, जानें कैसे हुई शुरुआत, क्या है इसमें तीन ताली का रहस्य
हिंदूओं में नृत्य को भक्ति और साधना का एक मार्ग बताया गया है. गरबा की बात करें तो इसका संस्कृत में नाम है गर्भ दीप. कई वर्षों पहले गरबा को गर्भदीप के नाम से ही जाना जाता था.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appगरबा की शुरुआत में एक कच्चे मिट्टी के घड़े को फूलों से सजाया जाता है. इस घड़े में कई छोटो-छोटे छेद होते हैं. इसके अंदर दीप प्रज्वलित कर रख देते हैं और मां शक्ति का आव्हान किया जाता है. इस दीप को ही गर्भदीप कहते हैं.
गरबा यानी की गर्भदीप के चारों ओर स्त्रियां-पुरुष गोल घेरे में नृत्य कर मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं. मान्यता है कि गरबा करने के समय महिलाएं तीन ताली बजाकर नृत्य करती है वह तालियां ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का तरीका होता है. कहते हैं कि तालियों की गूंज से मां भवानी जागृत होती हैं.
आजादी के पहले गरबा सिर्फ गुजरात में ही किया जाता था. गरबा को गुजरात का पारंपरिक लोक नृत्य है. धीरे-धीरे इसका चलन बढ़ता गया और इसके बाद राजस्थान और फिर देश के बाकी राज्यों, यहां तक की विदेशों में भी नवरात्रि के दौरान गरबा का आयोजन धूमधाम से किया जाता है.
गरबा सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. डांडिया, ताली, मंजिरा आदि कई चीजें बजाकर गरबा करने का चलन है. नौ दिन देवी के समक्ष गरबा किया जाता है.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -