Teachers Day 2022: शिक्षक दिवस पर जानें 5 महान गुरुओं के बारे में, जिनके शिष्यों ने अमिट छाप छोड़ी
गुरु वशिष्ठ सप्तऋषि में से एक हैं. वशिष्ठ गुरु ने अयोध्या के कुलगुरू थे. इन्होंने यहां राजपुरोहित के पद पर कार्य किया. गुरु वशिष्ठ के कहने पर ही राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया था जिसके बाद भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शुत्रुघ्न ने जन्म लिया. गुरु वशिष्ठ और उनके शिष्य राम की इस जोड़ी की मिसाल दी जाती है.
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View In Appगुरु द्रोणाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरू रहे. गुरु द्रोण युद्ध से जुड़ी सभी तरह की शिक्षा देने में पारंगत थे. ये संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर थे. अर्जुन इनके प्रिय शिष्यों में से एक थे. वहीं एकलव्य ने भी उन्हें अपना गुरु माना था.
भगवान विष्णु के अवतार महर्षि वेद व्यास जी प्रथम गुरु माने गए हैं. इनका पूरा नाम महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास है. इन्हें ही वेदों को विभाजित करने का श्रेय दिया जाता है. गुरु पूर्णिमा को इनकी पूजा की जाती है. वेद व्यास जी ने ऋषि जैमिन, वैशम्पायन, मुनि सुमन्तु, रोमहर्षण को शिक्षा दी.
रामायण काल में गुरु विश्वामित्र भगवान राम और लक्ष्मण को कई अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा दी थी. ये भृगु ऋषि के वंशज थे.
बृहस्पति देव, देवताओं के गुरु माने गए है. स्कंदपुराण के अनुसार भगवान शिव ने बृहस्पति को देव गुरु की उपाधि प्रदान की. इन्होंने अपने ज्ञान के बलबूते देवताओं का मार्गदर्शन किया, उन्हें धर्म और नीति का पाठ पढ़ाया.
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