सच्ची घटनाओं पर बनी हैं ये पांच हॉरर फिल्में, गलती से भी अकेले न देखें
हॉरर फिल्मों का ज़िक्र होते ही कई लोगों के बदन में सिहरन पैदा हो जाती है. इसके उलट कई ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें हॉरर फिल्में देखना बहुत पसंद हैं. अब कोई हॉरर फिल्म अगर किसी सच्चाई कहानी से प्रेरित हो या पुराने ज़माने में घटी कोई घटना से तो कई लोग उसे और भी ज्यादा मज़े लेकर देखते हैं. ऐसे में हम आपको दुनिया की कुछ ऐसी डरावनी और भूतहा फिल्मों के बारे में बता रहे हैं, जो कि किसी न किसी सच्चाई घटना पर आधारित थी.
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View In Appसाल 1977 रिलीज़ हुई वेस क्रैवन की 'द हिल्स हैव आइज' उस वक्त की काफी डरावनी फिल्मों में से एक थी. खास बात ये है कि ये फिल्म सावेनी बीन कबीले में 15वीं शताब्दी में प्रचलित एक किवदंती पर आधारित थी.
विलियम फ्रिडकिन के निर्देशन में बनी साल 1973 में आई हॉलीवुड फिल्म 'द एग्ज़ोरसिस्ट' अपने वक्त की सबसे डरावनी फिल्मों में गिनी जाती है. ये फिल्म विलियम पीटर ब्लैटी के इसी नाम से प्रकाशित नोवेल पर आधारित थी. ये फिल्म ऐसे व्यक्ति पर आधारित है, जिसके अंदर आत्मा चली जाती है और फिर एक पादरी उसे बाहर निकालने का प्रयास करता है.
साल 2007 में आई 'पैरानॉर्मल एक्टिविटी' की काफी चर्चा हुई थी. इस फिल्म का निर्देशन ऑरेन पेली ने किया था. ये फिल्म ऐसे कपल के बारे में थी जो अपने घर में कुछ सुपरनेच्युरल एक्टिविटीज होता महसूस करता है. बाद में दोनों फैसला करते हैं कि वो इन घटनाओं को अपने कैमरा में कैद करेंगे.
साल 2011 में आई 'साइलेंट हाउस' भी काफी डरावनी फिल्म है. इस फिल्म से अभिनेत्री एलिजाबेथ ओल्सेन ने अपना डेब्यू किया था. इस फिल्म में एक महिला की कहानी दिखाई गई है जो कि अलौकिक ताकतों के साथ जूझती है. खास बात ये है कि ये कहानी उरुग्वे में घटी एक घटना पर आधारित थी.
साल 1999 में आई हॉलीवुड हॉरर फिल्म 'द ब्लेयर विच प्रोजेक्ट' एक असली घटना के आधार पर बनाई गई थी. इस फिल्म में तीन नौजवान फिल्मेकर्स की कहानी दिखाई गई थी, जो काली पहाड़ी में छिपते हैं लेकिन गायब हो जाते हैं. बाद में इन लड़कों के कुछ वीडियो और साउंड एक्यूपमेंट वहां मिलते हैं, जिनके आधार पर पुलिस उनकी खोजबीन करती है. करीब साल भर के बाद इन लड़कों के फुटेज वहां से रिकवर किए जाते हैं.
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