शहादत को सलाम: आखिरी सफर पर निकले शहीद की राह में बिछाए फूल, आंखें हुईं नम
मुठभेड़ में चार आतंकियों को भी मार गिराया गया और चार आतंकी फरार हो गए थे.
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View In App29 साल के मेजर शहीद कौस्तुभ के पिता को 'राणे काका' के नाम से जाना जाता था. शहीद कौस्तुभ अपने माता पिता के इकलौते संतान थे. इस साल जनवरी के महीने में कौस्तुभ का प्रमोशन भी हुआ था.
इस मुठभेड़ में राइफलमैन हमीर सिंह भी शहीद हो गए. हमीर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पोखरियाल गांव के रहने वाले थे. घुसपैठियों से लोहा लेते हुए एक और बहादुर जवान राइफलमैन मनदीप सिंह रावत भी शहीद हो गए. मनदीप भी उत्तराखंड के कोटद्वार जिले के शिवपुर गांव के रहने वाले थे.
स्थानीय लोगों ने मीडिया को बताया कि शहीद कौस्तुभ की बोलचाल में बहुत प्यार भरा रहता था. लोगों ने यह भी कहा कि जब भी वो घर छुट्टियों पर आते तो पास के होली क्रॉस स्कूल जहां से उन्होंने पढाई की थी वहां अक्सर जाते थे. उन्हें बच्चों से मिलना और उनसे बातें करना बेहद पसंद था.
07 अगस्त को आतंकवादियों और भारतीय सेना के बीच हुई मुठभेड़ में मेजर कौस्तुभ शहीद हो गए थे. अब शहीद मेजर कौस्तुभ राणा का पार्थिक शरीर गुरुवार को मुंबई पहुंचा है. जहां एक तरफ शहीद मेजर का परिवार गम में डूबा है, वहीं पड़ोसियों ने शहीद को अनोखे अंदाज में श्रृद्धांजलि दी.
बता दें कि शहीद कौस्तुभ 6 साल से सेना में अपनी सेवा दे रहे थे. उनका ढ़ाई साल का एक बेटा भी है. वो फिलहाल नेटिव विलेज में रह रहा है. बताया जा रहा है कि शहीद जल्द ही बेटे को मुंबई लाने का सोच रहे थे.
दरअसल, मेजर शहीद कौस्तुभ का परिवार लगभग 30 साल से मुंबई के मीरा रोड पर स्थित घर में रह रहा है. गुरुवार को जब शहीद का शव मीरा रोड पहुंचा तो स्थानिय निवासियों ने फूलों से रोड को ढक दिया.
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