IN PICS: ...जब WhatsApp की मदद से चलती ट्रेन में MBBS के स्टूडेंट ने कराई महिला की डिलीवरी
अगर आपने आमिर खान की फिल्म थ्री इडियट्स देखी होगी तो याद होगा कि फिल्म की एक सीन में आमिर खान बच्चे की डिलीवरी में मदद करते हैं. फिल्म में करीना कपूर की बहन का किरदार निभा रहीं मोना सिंह एक बच्चे को जन्म देने वाली होती हैं लेकिन खराब मौसम की वजह से वह हॉस्पिटल नहीं पहुंच पाती हैं, जिसके बाद आमिर खान डिलीवरी में मदद करते हैं. इस फिल्म में आमिर खान इंजिनीयरिंग के स्टूडेंट होते हैं, लेकिन अपनी काबिलियत और प्रजेंस ऑफ माइंड की बदौलत वे इस काम में कामयाब होते हैं. फिल्म की इस सीन को देख पूरा सिनेमा हॉल दर्शकों की तालियों से गूंज उठता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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View In Appट्रेन में एक दाई ने विपिन की मदद की. विपिन के मुताबिक एक डॉक्टर ने कहा है कि हर डॉक्टर को यह पता होना चाहिए कि प्रसव के दौरान कैसे एक महिला की मदद की जाती है.
विपिन ने बताया कि जब वह मदद को पहुंचे तो चंद्रलेखा का खून बह रहा था और उन्हें तेज दर्द हो रहा था. मामले को देखते हुए दूसरे पैसेंजर्स ने ट्रेन के उस कंपार्टमेंट को खाली कर दिया और कंपार्टमेंट को डिलीवरी रूम में तब्दील कर दिया गया.
हम जो आपको खबर बताने जा रहे हैं वह फिल्म थ्री इडियट्स से मिलती जुलती है. खबर अहमदाबाद-पूरी एक्सप्रेस ट्रेन की है, जहां बीते शुक्रवार को एक एमबीबीएस के छात्र ने चलती ट्रेन में एक महिला की डिलीवरी में मदद की. इस काम के लिए 24 साल के नौजवान ने व्हाट्सएप के जरिए अपने सीनियर को हालात की जानकारी दी और इस काम को अंजाम दिया.
एमबीबीएस के छात्र ने कहा कि चंद्रलेखा के खून को रोकने के लिए उन्होंने पानी के ठंडे बोतल का इस्तेमाल किया.
विपिन ने कहा कि शिखा मलिक नाम की एक सीनियर डॉक्टर ने चंद्रलेखा की डिलीवरी में उनकी मदद की.
इस पूरे वाकये के बाद जब ट्रेन नागपुर पहुंची वहां लेडीज डॉक्टर्स की टीम चंद्रलेखा को हॉस्पिटल ले गई.
विपिन ने हालात को देखते हुए वहां की तस्वीरे डॉक्टर्स के व्हाट्सएप ग्रूप में शेयर करनी शुरू की.
एमबीबीएस की पढ़ाई के आखिरी दौर से गुजर रहे 24 साल की चंद्रलेखा की डिलीवरी में मदद की.
विपिन ने बताया कि नागपुर से तीस किलोमीटर पहले चंद्रलेखा के परिवार वालों ने ट्रेन की चेन पुलिंग की और वर्धा के नजदीक एक हॉल्ट पर ट्रेन को रोका गया. जिसके बाद टीटीई और गार्ड्स ने एक डॉक्टर की तलाश शुरू की लेकिन जब ऐसा नहीं हो पाया तब मैंने मदद की पेशकश की.
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