पासपोर्ट से जुड़े नियमों में हुए बदलाव, बर्थ और मैरिज सर्टिफिकेट से जुड़ी कई बड़ी बातें भी हैं शामिल
बिना जन्म प्रमाण पत्र वाले अनाथ बच्चे भी अब अनाथालय के लेटरपैड पर वहां के प्रमुख से साइन करवाकर पासपोर्ट के लिए अप्लाइ कर सकते हैं. सिंह ने कहा कि जरूरी अधिसूचना (नोटिफिकेशन) जल्द ही राजपत्र (गैजेट) में प्रकाशित की जाएगी.
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View In Appविदेश मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सदस्यों वाली एक समिति ने इस बात पर जोर दिया है कि अकेली मां के मामले में पिता के नाम का उल्लेख नहीं किया जाए. यानि अकेली मां के बच्चे अब बिना पिता के नाम का कॉलम भरे पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकेंगे. वहीं गोद लिए बच्चे को भी मान्यता दी जाएगी.
शादीशुदा लोगों को अपनी मैरिज सर्टिफिकेट देने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी. अब बिना मैरिज सर्टिफिकेट के भी पासपोर्ट के लिए आवेदन किया जा सकता है.
सरकारी नौकरशाहों के लिए भी नए नियम जारी किए गए हैं. वैसे नौकरशाह जो अपने संबंधित विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (नॉन आब्जेक्शन सर्टिफिकेट) हासिल नहीं कर पा रहे और अपने मंत्रायल या विभाग को पहले से ये जानकारी दे दी है कि वह पासपोर्ट के लिए आवेदन कर रहा है तो वे पासपोर्ट के लिए आवेदन दे सकते हैं.
नए नियमों के अनुसार अब पासपोर्ट के लिए जन्मतिथि (डेट ऑफ बर्थ) के प्रमाण के तौर पर जन्म प्रमाणपत्र की ज़रूरत को भी खत्म किया गया है. पासपोर्ट नियम-1980 के मौजूदा नियमों के अनुसार 26 जनवरी, 1989 को या फिर इसके बाद पैदा हुए आवेदनकर्ताओं को जन्मतिथि (डेट ऑफ बर्थ) के प्रमाण के तौर पर जन्म प्रमाण पत्र देना ज़रूरी होता था. नए नियमों में जन्मतिथि को लेकर यह फैसला किया गया है कि पासपोर्ट के सभी आवेदन के जन्मतिथी के प्रमाण के तौर पर स्कूल छोड़ने का सर्टिफिकेट, 10वीं कक्षा के सर्टिफिकेट, पैन कार्ड, आधार कार्ड/ई-आधार कार्ड, अप्लाइ करने वालों के सेवा रिकॉर्ड से जुड़े कागजात, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी, एलआईसी पॉलिसी बॉन्ड के डाक्यूमेंट भी लगाए जा सकते हैं. जन्म और मृत्यु पंजीयक (रजिस्ट्रार) या नगर निगम या जन्म और मृत्यु पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) एक्ट-1969 के तहत अधिकार प्राप्त एजेंसियों ने जो जन्म प्रमाणपत्र दिया है उसे भी जन्मतिथि के प्रमाणपत्र के तौर पर लगाया जा सकता है. नए नियमों में जन्मतिथि को लेकर यह फैसला किया गया है कि पासपोर्ट के सभी आवेदन के जन्मतिथी के प्रमाण के तौर पर स्कूल छोड़ने का सर्टिफिकेट, 10वीं कक्षा के सर्टिफिकेट, पैन कार्ड, आधार कार्ड/ई-आधार कार्ड, अप्लाइ करने वालों के सेवा रिकॉर्ड से जुड़े कागजात, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी, एलआईसी पॉलिसी बॉन्ड के डाक्यूमेंट भी लगाए जा सकते हैं. जन्म और मृत्यु पंजीयक (रजिस्ट्रार) या नगर निगम या जन्म और मृत्यु पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) एक्ट-1969 के तहत अधिकार प्राप्त एजेंसियों ने जो जन्म प्रमाणपत्र दिया है उसे भी जन्मतिथि के प्रमाणपत्र के तौर पर लगाया जा सकता है.
सरकार की ओर से जारी नए पासपोर्ट नियमों में यह बात बताई गई है कि देश में साधु और सन्यासी पासपोर्ट में अपने माता-पिता की बजाय आध्यात्मिक गुरुओं के नाम दे सकते हैं. साधु-सन्यासियों को इसके लिए कम से कम एक सरकारी डाक्यूमेंट देना होगा.
विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट बनवाने के नियमों में बड़े बदलाव किए हैं. इन बड़े बदलावों में अकेली मां के बच्चे के पासपोर्ट में पिता के नाम से लेकर साधु और सन्यासियों के माता-पिता के नाम तक के विकल्प को लेकर नियमों में बदलाव किए गए हैं. वहीं गोद लिए गए बच्चों से लेकर अपने मंत्रालय/विभाग से नॉन आब्जेक्शन सर्टिफिकेट हासिल ना कर पा रहे लोगों के लिए भी नियमों में भारी बदलाव किए गए हैं.
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