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'30 साल में ऐसा नहीं हुआ, LG हमेशा...', MCD में पार्षदों की नियुक्ति कैसे होती रही है, केजरीवाल सरकार के वकील सिंघवी ने कोर्ट को बताया
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने सुनवाई करते हुए एमसीडी में पार्षदों को नामित करने का एलजी का फैसला बरकरार रखा.

एमसीडी में मनोनीत पार्षदों को नामित करने के एलजी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रखा बरकरार
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 अगस्त, 2024) को साफ कर दिया कि उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को दिल्ली नगर निगम में मनोनीत पार्षद या एल्डरमैन को नामित करने का अधिकार है और इसके लिए उन्हें दिल्ली सरकार की सहमति की जरूरत नहीं है.
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सुनवाई के दौरान केजरीवाल सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता डॅा. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एलजी की ओर से मंत्रियों की सहायता और सलाह के बिना मनोनित पार्षद कभी नियुक्त नहीं किए गए. यह प्रथा पिछले 30 सालों से चलती आ रही है
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अभिषेक सिंघवी ने राज्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2018) फैसले में आर्टिकल 239AA के कानून में अपनी सहमती जताई.
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एलजी की ओर से पेश तत्कालीन एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने आर्टिकल 239AA और दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के तहत लोकल बॉडी नोमिनेशन में एलजी की भूमिका में अंतर डिफाइन करने की मांग की.
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सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कह दिया कि 1993 में संशोधित दिल्ली एमसीडी अधिनियम धारा 3(3)(बी)(आई) के तहत बिना किसी की मदद लिए एलजी को मनोनित पार्षद चुनने का अधिकार है.
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मनोनित पार्षद की नियुक्ति मामले पर बहुत लंबे समय से विवाद चल रहा था. इस वजह से एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव भी रुका हुआ था.
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इस समय एमसीडी में आम आदमी पार्टी के 134 निर्वाचित पार्षद हैं और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 104 हैं. मनोनीत पार्षद यानी एल्डरमैन 10 होते हैं, जिसका चुनाव उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना करेंगे.
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साल 2022 के एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को 134 वार्डों में, बीजेपी को 104 वार्डों में और कांग्रेस को 9 वार्डों में जीत मिली थी.
Published at : 06 Aug 2024 11:51 AM (IST)
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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