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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
द्वारका में 'समुद्र साधना' के बाद पीएम मोदी ने की अहीर समाज की तारीफ, समझें- क्या हैं इसके मायने?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 फरवरी को धार्मिक और पौराणिक महत्व से जुड़े गुजरात के द्वारका में स्कूबा डाइविंग के दौरान साधना में लीन नजर आए थे. उनके वीडियो और तस्वीरें खूब देखी जा रही हैं. पीएम मोदी की यह यात्रा द्वारका में पनडुब्बी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गुजरात सरकार की ओर से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के ठीक बाद हुई थी.
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View In Appउन्होंने अपने गुजरात दौरे पर 48 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा लागत की विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया था, जिसमें सुदर्शन सेतु भी शामिल है, जो द्वारका को बेट द्वारका द्वीप से जोड़ता है. पीएम मोदी ने अहीर समाज की तारीफ भी की थी, जिसके अब राजनीतिक मायने समझे जा रहे हैं.
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी ने अपने संबोधन से पहले भगवान श्रीकृष्ण का आह्वान किया था और अहीर समुदाय की महिलाओं की तारीफ की थी. हिंदी पट्टी में अहीर समाज यादवों के समकक्ष है, जो खुद को भगवान श्रीकृष्ण का वंशज मानते हैं.
पीएम मोदी ने अहीर समाज की महिलाओं (अहिरानियों) की तुलना चिंता दूर करने वाली माताओं के रूप में की थी. उन्होंने पिछले साल 23 और 24 दिसंबर को इस समाज की 37 हजार महिलाओं की ओर से किए गए महारास का जिक्र भी किया था.
पीएम मोदी ने जामनगर में एक रोड शो के दौरान भी अहीर समाज को धन्यवाद दिया था. अहीर समाज का जामनगर लोकसभा सीट पर खासा असर माना जाता है, जो जामनगर और द्वारका जिलों को कवर करता है. सीट कभी कांग्रेस के पास थी लेकिन 2014 में यहां से बीजेपी का प्रत्याशी जीता था और 2019 में भी.
जामनगर में विधानसभा की सात सीटें हैं, जहां दो के विधायक अहीर समाज से हैं. बीजेपी के मुलु बेरा खंबालिया से और आम आदमी पार्टी के हेमंत खावा जामजोधपुर से विधायक हैं. 1967 के बाद से खंबालिया विधानसभा सीट पर कोई गैर-अहीर नहीं जीता है. वहीं, द्वारका विधानसभा सीट में सबसे बड़ा समुदाय होने के बावजूद यहां 1975 में अहीर समाज का व्यक्ति विधायक था.
1990 के बाद से पाबुबा मानेक द्वारका के विधायक रहे हैं, जो बेहद कम आबादी वाले वाघेर समुदाय से आते हैं. वह लगातार नौ बार जीते हैं. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवारी से शुरुआत की थी, उसके बाद कांग्रेस और फिर 2007 में बीजेपी में आ गए थे.
सीट में दूसरी सबसे ज्यादा संख्या सथवारा (दलवाड़ी) समुदाय की है, जो ओबीसी कैटेगरी में आता है. अहीरों को दबंग माना जाता है और वे बीजेपी के वफादार समर्थक भी माने जाते हैं. माना जाता है कि बीजेपी और पाबुबा मानेक को द्वारका और ओखा के शहरी मतदाताओं, ब्राह्मणों और अन्य छोटे जाति समूहों का समर्थन मिलता रहा है. हालांकि, द्वारका सीट पर अहीरों के बीच कांग्रेस को समर्थन है.
गुजरात किसान कांग्रेस के पाल अम्बालिया कहते हैं, ''मानेक जीत रहे हैं क्योंकि सथवारा, वाघेर, शहरी मतदाता और मुस्लिम उन्हें वोट देते हैं. हो सकता है कि मेरी पार्टी सही उम्मीदवार चुनने में गलती कर रही हो. यहां से अहीर जीत सकते हैं क्योंकि मानेक की जीत का अंतर 4,000 से 7,000 वोटों के बीच रहा है.'' हालांकि, वह मानते हैं कि मोदी की पहुंच निश्चित रूप से समुदाय के साथ जुड़ाव पैदा करेगी. उन्होंने कहा, ''लगभग 45,000 अहीर महिलाओं ने गरबा कार्यक्रम में भाग लिया था. पीएम मोदी ने उनकी तारीफ करके उनके परिवारों को प्रभावित किया है.''
वहीं, जामनगर लोकसभा सीट पर पाटीदारों का असर होने के बावजूद बीजेपी और कांग्रेस दोनों यहां से अहीरों को मैदान में उतारती रही हैं. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी इस सीट को ओबीसी बहुल मानती है.
उन्होंने कहा, ''अंजार, खंभालिया, द्वारका, मनावदर, तलाल, राजुला और महुवा जैसे विधानसभा क्षेत्रों में अहीर मतदाताओं की एक महत्वपूर्ण संख्या है. हालांकि, द्वारका और खंबालिया के अलावा, बाकी विधानसभा सीटें कच्छ, जामनगर, जूनागढ़ और अमरेली लोकसभा सीटों में आती है, इसलिए पार्टी जामनगर को ओबीसी सीट मानती है और सौराष्ट्र क्षेत्र में आने वाली सात लोकसभा सीटों में से एक जामनगर से अहीर उम्मीदवार को मैदान में उतारती है.''
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