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क्या BSP में आकाश आनंद की Re-एंट्री बढ़ाएगी चंद्रशेखर की टेंशन? राजनीतिक एक्सपर्ट ने किया बड़ा दावा

UP Politics: आकाश आनंद को मायावती ने लोकसभा चुनाव के दौरान उनके पद से हटा दिया था. इसके बाद ही बसपा सुप्रीमो ने उन्हें अपना उत्तराधिकार देने के फैसले पर भी कदम पीछे खींच लिए थे.

UP Politics: आकाश आनंद को मायावती ने लोकसभा चुनाव के दौरान उनके पद से हटा दिया था. इसके बाद ही बसपा सुप्रीमो ने उन्हें अपना उत्तराधिकार देने के फैसले पर भी कदम पीछे खींच लिए थे.

नगीना लोकसभा सीट से सांसद और बसपा कॉर्डिनेटर आकाश आनंद (फाइल फोटो)

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राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर बद्री नारायण ने यूपी तक से बातचीत में बताया कि मुझे लगता है कि नगीना सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद का राजनीति में आना कैसे हुआ? उन्होंने बकाया कि बसपा सुप्रीमो मायावती का सक्रिय राजनीति के तौर पर एक्टिव नहीं रहीं. जिसके कारण ही चंद्रशेखर का राजनीतिक तौर पर उभार हो पाया है.
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर बद्री नारायण ने यूपी तक से बातचीत में बताया कि मुझे लगता है कि नगीना सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद का राजनीति में आना कैसे हुआ? उन्होंने बकाया कि बसपा सुप्रीमो मायावती का सक्रिय राजनीति के तौर पर एक्टिव नहीं रहीं. जिसके कारण ही चंद्रशेखर का राजनीतिक तौर पर उभार हो पाया है.
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प्रोफेसर बद्री नारायण ने बताया कि मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद के सामने क्या बड़ी चुनौती है? उन्होंने कहा कि पश्चिमी यूपी का दलित युवा जो आज चंद्रशेखर की ओर जा रहा हैं, वो कभी बीएसपी का आधार क्षेत्र हुआ करते थे. ऐसी स्थिति में आकाश को उन युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करके और बसपा की ओर लाना होगा. हालांकि, ये आकाश के लिए काफी बड़ा चैलेंज होगा.
प्रोफेसर बद्री नारायण ने बताया कि मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद के सामने क्या बड़ी चुनौती है? उन्होंने कहा कि पश्चिमी यूपी का दलित युवा जो आज चंद्रशेखर की ओर जा रहा हैं, वो कभी बीएसपी का आधार क्षेत्र हुआ करते थे. ऐसी स्थिति में आकाश को उन युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करके और बसपा की ओर लाना होगा. हालांकि, ये आकाश के लिए काफी बड़ा चैलेंज होगा.
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राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर बद्री नारायण का मानना है कि सासंद चंद्रशेखर आजाद एक पूरी तरह से राजनीतिक नहीं हुए है, अभी वे एक व्यक्ति ही है. उन्होंने बताया कि फिलहाल दलितों की राजनीति का केंद्र मायावती ही हैं. उन्होंने कहा कि जब तक चंद्रशेखर केंद्र नहीं बनेंगे. तब तक वो देश की राजनीति में बड़ा हस्तक्षेप नहीं कर सकते. लेकिन, ये ठीक है कि वो संसद में पहुंच गए हैं. ऐसे में वो अपनी पार्टी का विस्तार करेंगे.
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर बद्री नारायण का मानना है कि सासंद चंद्रशेखर आजाद एक पूरी तरह से राजनीतिक नहीं हुए है, अभी वे एक व्यक्ति ही है. उन्होंने बताया कि फिलहाल दलितों की राजनीति का केंद्र मायावती ही हैं. उन्होंने कहा कि जब तक चंद्रशेखर केंद्र नहीं बनेंगे. तब तक वो देश की राजनीति में बड़ा हस्तक्षेप नहीं कर सकते. लेकिन, ये ठीक है कि वो संसद में पहुंच गए हैं. ऐसे में वो अपनी पार्टी का विस्तार करेंगे.
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प्रोफेसर बद्री नारायण ने बताया कि नगीना लोकसभा सीट से चंद्रशेखर की इस जीत ने मायावती को एक बार फिर से सोचने का मौका दिया है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि आकाश आनंद की वापसी पार्टी में इसलिए हो पाई कि क्योंकि, नगीना से चंद्रशेखर आजाद को भारी मतों से जीत मिली. उन्होंने कहा कि अगर, चंद्रशेखर चुनाव नहीं जीते होते तो शायद मायावती सोचने के लिए और दिन लगाती. तब आकाश आनंद की पार्टी में वापसी हो पाती.
प्रोफेसर बद्री नारायण ने बताया कि नगीना लोकसभा सीट से चंद्रशेखर की इस जीत ने मायावती को एक बार फिर से सोचने का मौका दिया है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि आकाश आनंद की वापसी पार्टी में इसलिए हो पाई कि क्योंकि, नगीना से चंद्रशेखर आजाद को भारी मतों से जीत मिली. उन्होंने कहा कि अगर, चंद्रशेखर चुनाव नहीं जीते होते तो शायद मायावती सोचने के लिए और दिन लगाती. तब आकाश आनंद की पार्टी में वापसी हो पाती.
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प्रोफेसर बद्री नारायण ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद के सामने ये प्रश्न खड़ा हुआ कि उनके सामने अपनी चुनौतियां क्या हैं? उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर के सामने जो अपनी चुनौती है वो किस तरह से बसपा के वोट बैंके में सेंधमारी करते जाए वो भी बिना मायावती से टकराए हुए.
प्रोफेसर बद्री नारायण ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद के सामने ये प्रश्न खड़ा हुआ कि उनके सामने अपनी चुनौतियां क्या हैं? उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर के सामने जो अपनी चुनौती है वो किस तरह से बसपा के वोट बैंके में सेंधमारी करते जाए वो भी बिना मायावती से टकराए हुए.
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प्रोफेसर बद्री नारायण का मानना है कि बीएसपी का संसद में न होना ये मायावती के लिए अपने आप में एक बड़े अवसर को खोना है. उन्होंने कहा कि आप जनता की आवाज और सवाल संसद में उठाते हैं. ऐसे में जनता को लगता है कि हमारा नेता संसद में हमारे लिए बोल रहा हैं. उन्होंने कहा कि जब आप संसद में रहेंगे ही नहीं तो बोलेंगे क्या? ऐसे में बहुजन समाज पार्टी को जन आंदोलन की पार्टी फिर से बनना होगा.
प्रोफेसर बद्री नारायण का मानना है कि बीएसपी का संसद में न होना ये मायावती के लिए अपने आप में एक बड़े अवसर को खोना है. उन्होंने कहा कि आप जनता की आवाज और सवाल संसद में उठाते हैं. ऐसे में जनता को लगता है कि हमारा नेता संसद में हमारे लिए बोल रहा हैं. उन्होंने कहा कि जब आप संसद में रहेंगे ही नहीं तो बोलेंगे क्या? ऐसे में बहुजन समाज पार्टी को जन आंदोलन की पार्टी फिर से बनना होगा.
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राजनीतिक विश्लेषक बद्री नारायण ने कहा कि जन आंदोलन करने का जो पहले का तरीका था फिजिकली लोगों से मिलना और धरने प्रदर्शन करना था. ये सब भी बीएसपी को करने होंगे. लेकिन साथ-साथ सोशल मीडिया में बहुत ही मजबूत उपस्थिति बनाए रखनी होगी. हालांकि, बहुजन समुदाय उस तरीके से सोशल मीडिया में एक्टिव नहीं है. जहां बाकी लोग सक्रिय हैं.
राजनीतिक विश्लेषक बद्री नारायण ने कहा कि जन आंदोलन करने का जो पहले का तरीका था फिजिकली लोगों से मिलना और धरने प्रदर्शन करना था. ये सब भी बीएसपी को करने होंगे. लेकिन साथ-साथ सोशल मीडिया में बहुत ही मजबूत उपस्थिति बनाए रखनी होगी. हालांकि, बहुजन समुदाय उस तरीके से सोशल मीडिया में एक्टिव नहीं है. जहां बाकी लोग सक्रिय हैं.

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