COVID 19: 'जनवरी में कोविड के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं'- स्वास्थ्य मंत्रालय का अनुमान, पाबंदियों को लेकर भी साफ किया इरादा
मंत्रालय का यह भी अनुमान है की इस लहर में मृतकों की संख्या ज्यादा नहीं होगी . मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अबतक वायरस के रुझान और प्रवृति को देखते हुए अनुमान है कि पूर्वी एशिया में लहर आने के 35 से 40 दिनों के भीतर वायरस भारत पहुंचेगा .
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View In Appइस लिहाज़ से जनवरी का महीना बेहद अहम है और इसी के मद्देनजर मंगलवार को देशभर के 20000 अस्पतालों में तैयारियों का मॉक ड्रिल किया गया . सूत्रों ने बताया कि मॉक ड्रिल में सामने आए आंकड़े बताते हैं कि अगर भारत में डेल्टा वायरस जैसी लहर भी आती है तो भी उससे निपटने की पर्याप्त तैयारी है . इनमें अस्पतालों में बेड , ऑक्सीजन , वेंटीलेटर और दवाइयां जैसी चीज़ें शामिल हैं .
सूत्रों ने बताया कि भारत में विकसित नेजल वैक्सीन के बाज़ार में उपलब्ध होने में अभी क़रीब एक महीना और लग सकता है . इसका मतलब लोगों को नेजल वैक्सिन लगवाने के लिए एक महीना और इंतज़ार करना पड़ेगा . सूत्रों के मुताबिक़ फिलहाल सरकार इस वैक्सीन को खरीदने और लोगों को मुफ़्त लगवाने पर विचार नहीं कर रही है .
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि हालात को देखते हुए जल्द ही चीन समेत 6 देशों से आने वाले हवाई यात्रियों के लिए कोरोना जांच अनिवार्य करने और एयर सुविधा के अन्य प्रावधान लागू किए जाने की संभावना है.
चीन के अलावा इन देशों में सिंगापुर , जापान , थाईलैंड , दक्षिण कोरिया और हॉन्ग कॉन्ग शामिल हैं . सूत्रों ने बताया कि 26 और 27 दिसंबर को देश के अलग-अलग हवाई अड्डों पर 6000 यात्रियों की कोरोना जांच की गई जिसमें 39 यात्री पॉजिटिव पाए गए .
एक अहम जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि कोरोना के BF.7 वेरिएंट को आइसोलेट कर लिया गया है और उसके असर और उस पर वैक्सीन के प्रभाव की जांच की जा रही है .
इस बार सरकार का लोगों पर कोई पाबंदी लगाने का इरादा नहीं है . सूत्रों ने साफ किया की मास्क लगाने और अन्य पाबंदियां लगाने पर सरकार विचार नहीं कर रही है सरकार का मानना है कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत की विकास दर 7 फ़ीसदी से आगे है ऐसे में इन पाबंदियों का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल पर सकता है.
एक राहत वाली ख़बर ये है कि पेरासिटामोल और Azithromycin जैसी दवाओं के लिए जरूरी कच्चा माल यानी API अब भारत में ही उपलब्ध है और इन जरूरी दवाइयों के लिए चीन पर भारत की निर्भरता लगभग खत्म हो चुकी है . सूत्रों के मुताबिक इस साल भारत में 35 हजार करोड़ रुपए के एपीआई का आयात हुआ है जबकि 33 हजार करोड रुपए के एपीआई का निर्यात किया है .
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