1000 साल की उम्र फिर भी पहली बारिश में कैसे टपका राम मंदिर की छत से पानी? पता चल गई सच्चाई
अयोध्या में मानसून की पहली बारिश के साथ ही श्री राम जन्मभूमि मंदिर में छत से पानी की बूंदे टपकने और इससे गर्भगृह में पानी इकट्ठा होने की बात सामने आने के बाद ये देशभर में चर्चा का विषय बन गया. अब राम मंदिर ट्रस्ट ने भी मान लिया कि बरसात के समय पानी छत से रिसकर नीचे मंदिर में आया.
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View In Appहालांकि, राम मंदिर की ट्रस्टी अनिल मिश्र ने सफाई देते हुए कहा कि क्योंकि अभी मंदिर निर्माण का काम चल ही रहा है तो वाटर सीलिंग नहीं हो पाई है. इसी कारण पानी आया है.
रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बीते दिनों रामलला के गर्भगृह से पानी निकासी को लेकर सवालिया निशान मंदिर निर्माण में लगी संस्था के ऊपर लगाया था. इसने रामलला मंदिर में प्री मानसून की पहली बारिश ने निर्माण कार्य की पोल खोल दी.
वहीं राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा का कहना है कि गर्भगृह में पानी नहीं आया. उनके मुताबिक पानी आगे के गुरु मंडप में आया और ये समस्या मंदिर का काम पूरा होने पर दूर हो जाएगी.
इस बीच आर्किटेक्ट डॉ केके अस्थाना का कहना है कि राम मंदिर चूंकि, अधूरा बना हुआ है. यहां राम मंदिर में जो गर्भ गृह के सामने हाल है उसके ऊपर छत नहीं बनी है. उसके ऊपर वाले फ्लोर पर मिनादें बनी हुई हैं. ऐसे में कई बार बौछार का पानी इतना ज्यादा होता है कि अंदर आकर इकट्ठा हो जाए.
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि पानी गिरने की सबसे बड़ी वजह तो ये है कि प्रथम तल पर बिजली के तार डाले जा रहे हैं. उसके लिए पाइप लगाई गई हैं. कुछ पाइप अभी खुले पड़े हैं, अभी पाइप से होकर बारिश का पानी नीचे तक पहुंचा है. निर्माण कार्य में किसी प्रकार की कमी नहीं है. फिर इसके अलावा मंदिर नागर शैली में बनाया जा रहा है. इसमें मंडप खुला होगा. कभी बहुत तेज बारिश आएगी तो संभावना है कि बारिश के छींटे आ जाएं.
रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की मानें तो भगवान राम के भव्य मंदिर के गर्भगृह की छत बीते दिनों टपक रही थी, जिसे ठीक किया गया लेकिन अब प्री मानसून की पहली बारिश में भगवान के मंदिर के ठीक सामने पुजारी के बैठने के स्थान और जहां पर वीआईपी दर्शन के लिए लोग आते हैं, उस स्थल पर तेजी के साथ बारिश का पानी टपक रहा है. यह नॉर्मल नहीं बहुत ज्यादा है, जिसको निकालने में भी कड़ी मशक्कत की गई.
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