Bengaluru Water Crisis: सड़कों पर पानी के टैंकर और बाल्टियां हाथ में लिए लोगों की लंबी लाइनें, देखें वॉटर शॉर्टेज ने कैसे बदल दी IT सिटी बेंगलुरु की तस्वीर
बेंगलुरु में पानी की इतनी कमी क्यों हुई, इसका एक कारण बारिश को भी माना जा रहा है. पिछले साल कर्नाटक में सामान्य दर से 18 प्रतिशत कम बारिश हुई थी.
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View In Appसोमवार (18 मार्च) को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा बेंगलुरु अभी 50 करोड़ लीटर पानी की कमी की किल्लत झेल रहा है जो रोज के इस्तेमाल का बस पाचवां हिस्सा है.
बेंगलुरु के हाइड्रोलॉजिस्ट शशांक पालुर के मुताबिक, राज्य में पानी की समस्या बहुत लंबे समय से है. अधिकारियों का कहना है कि शहर में पानी के लिए 13,900 बोरवेल खोदे गए, जिसमें से 6,900 सूखे हुए हैं.
शहर में पानी की किल्लत इतनी ज्यादा हो गई है कि एक सामान्य परिवार के लिए खाना बनाने, कपड़े धोने, घर की साफ सफाई के साथ बाकी कामों के लिए बीस लीटर पानी से एक हफ्ते तक काम चलाना पड़ता है.
CWC के डेटा मुताबिक, बेंगलुरु में कम बारिश होने की वजह से जलाशयों में पूरी क्षमता का सिर्फ 26 फीसदी पानी बचा है, जबकि इस समय 10 फीसदी पानी और होना चाहिए.
डेटा के अनुसार, जिस तरह के हालात हैं उससे निपटने के लिए जलाशयों में 880 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी होना चाहिए, लेकिन सिर्फ 650 करोड़ क्यूबिक मीटर ही बचा है.
पानी की किल्लत से निपटने के लिए बेंगलुरु के आधे लोगों को पाइप से पीने का पानी पहुंचाया जाता है और आधे लोग ग्राउंड वॉटर का इस्तेमाल करते हैं.
सेंट्रल डेटा वॉटर कमीशन (CWC) के डेटा में बताया गया कि एक महीने पहले जलाशयों में 7.7 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी मौजूद था.
गर्मी का मौसम आ रहा है इस समय जमीन ज्यादा जल्दी से सूखती है और पानी की दिक्कते भी ज्यादा होती है जिसके लिए बेंगलुरु के लोगों को मौनसून तक का इंतजार करना पड़ता है
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