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इधर छिड़ा औरंगजेब की कब्र पर विवाद, उधर महाराष्ट्र में बन गया छत्रपति शिवाजी का पहला मंदिर, 7 बातें बेहद खास
Chhatrapati Shivaji Maharaj Temple: शिवाजी महाराज के मंदिर को वास्तुकार विशाल विजयकुमार पाटिल ने छत्रपति शिवाजी के किलों से प्रेरित होकर डिजाइन किया है.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार (17 मार्च, 2025) को ठाणे के भिवंडी तालुका में छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित राज्य के पहले मंदिर का उद्घाटन किया. आइये इस मंदिर से जुड़ी आपको 7 बातें बताते हैं, जो हर किसी को पता होनी चाहिए.
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महाराष्ट्र में मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी को समर्पित यह पहला मंदिर है. छत्रपति को समर्पित देश का पहला मंदिर तेलंगाना के श्रीशैलम में है.
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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर सीएम फडणवीस ने मंदिर का उद्घाटन किया. इसकी नींव 2017 में रखी गई थी और वास्तविक निर्माणकार्य मार्च 2018 में एकनाथ शिंदे की ओर से भूमिपूजन समारोह के बाद शुरू हुआ.
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छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों की वास्तुकला से प्रेरित ये मंदिर 2,500 वर्ग फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है. मंदिर में किले जैसी चारदीवारी हैं, जो अतिरिक्त 5,000 वर्ग फीट को कवर करती है. मंदिर का निर्माण करने वाली शिवक्रांती प्रतिष्ठान की स्थापना एक स्थानीय कंस्ट्रक्शन के दिग्गज और छत्रपति शिवाजी महाराज के भक्त राजू चौधरी ने की थी. राजू चौधरी ने ये जमीन ट्रस्ट को उपहार में दी थी.
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मंदिर का मुख्य आकर्षण छत्रपति शिवाजी महाराज की 6.5 फीट ऊंची कृष्णशिला (काले पत्थर) मूर्ति है, जिसे मैसूर के प्रसिद्ध कलाकार अरुण योगीराज ने बनाया है. यह वही शख्स हैं, जिन्होंने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 22 फीट ऊंची मूर्ति, केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची मूर्ति और अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की मूर्ति गढ़ी थी.
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शिवाजी महाराज के मंदिर को वास्तुकार विशाल विजयकुमार पाटिल ने छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों से प्रेरित होकर डिजाइन किया है. इसमें चारदिवारी, किले जैसी बुर्ज और एक विशाल प्रवेश द्वार बना हुआ है, जो 42 फीट ऊंंचा है. प्रवेश द्वार में सागौन की लकड़ी से एक गेट भी बनाया गया है, जो 27 फीट ऊंचा और 17 फीट चौड़ा है. मंदिर में खंभे बारीक नक्काशीदार हैं और आकर्षक महीराप मेहराबों से सुसज्जित हैं. मंदिर को मजबूत बनाने के लिए कंक्रीट, ईंटों के साथ-साथ असली पत्थर का उपयोग किया गया है.
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मंदिर के निचले हिस्से में 36 खंड हैं, जिनमें 9x6 फीट के भित्तिचित्र हैं. इनमें छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन के महत्वपूर्ण क्षण दिखाए गए हैं. इसके अलावा परिसर में ऐतिहासिक हथियारों और कवच का एक संग्रहालय भी है. मंदिर के चारों ओर एक बगीचा है.
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मंदिर ट्रस्ट को उम्मीद है कि छत्रपति शिवाजी महाराज मंदिर महाराष्ट्र और देश के अन्य हिस्सों से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करेगा. उनका मानना है कि इससे स्थानीय लोगों को बहुत जरूरी रोजगार मिलेगा. ट्रस्ट वर्तमान में इस क्षेत्र को एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने में सरकार की मदद चाहता है, जिसमें मंदिर के चारों ओर एक हॉस्टल सुविधा का निर्माण और उसके बगल में एक पुलिस चौकी बनाना शामिल है. फडणवीस ने कहा है कि मंदिर को जल्द ही तीर्थस्थल का दर्जा दिया जाएगा.
Published at : 20 Mar 2025 02:47 PM (IST)
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