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नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में 'चामुंडा' बना CRPF का दोस्त, फ्रंटलाइन पर तैनाती, ऑपरेशन्स के वक्त भी रहता है जवानों के साथ
10 Year Old Friend 'Chamunda': साल 2014 में सीआरपीएफ बटालियन को सुकमा के कांकेरलंका गांव में 45 दिन का एक बकरा मिला था, जो काफी बीमार था. बाद में इस बकरे का नाम चामुंडा रखा गया.

CRPF का 10 साल का अनोखा दोस्त
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छत्तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ बटालियन के लिए एक 10 साल का अनोखा दोस्त काफी मददगार साबित रहा है. इस दोस्त का नाम चामुंडा है, जो कि एक बकरा है. सीआरपीएफ बटालियन पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के माओवादी विद्रोहियों से लड़ने के लिए यहां तैनात हैं.
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10 साल का चामुंडा बटालियन के साथ हमेशा रहता है. इतना ही नहीं जब जवान नक्सलियों से लड़ने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं, तब भी चामुंडा उन्हीं के साथ रहता है. सीआरपीएफ जवानों को भी अब चामुंडा की आदत सी हो गई है, इसलिए वो जहां भी जाते हैं, चामुंडा को अपने साथ ले जाते हैं.
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साल 2014 में सीआरपीएफ बटालियन को सुकमा के कांकेरलंका गांव में 45 दिन का एक बकरा मिला था, जो कि बीमार था. यह बकरा तब चल भी नहीं पाता था. बटालियन ने उसे अपनी निगरानी में लेते हुए उसकी देखभाल करनी शुरू कर दी, जिसके बाद वो ठीक हो गया.
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सीआरपीएफ के जवानों को चामुंडा से एक लगाव हो गया है. अगर चामुंडा को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जाता है, तो इसके लिए एक स्पेशल वाहन का उपयोग किया जाता है. इतना ही नहीं चामुंडा के बीमार पड़ जाने के बाद जवान रायपुर से इसके लिए दवा लाते हैं.
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चामुंडा नाम रखने को लेकर सीआरपीएफ के जवानों ने वजह भी बताई. बटालियन के एक जवान के मुताबिक, जब भी हम किसी टास्क के लिए जाते हैं या टास्क से लौटते हैं, तब हम चामुंडा की जय कहकर पुकारते हैं. एक बार हमने चामुंडा देवी का नाम लेते हुए बकरे को टेबलेट खिलाई, तो वो ठीक हो गया, जिसके बाद हमने इसका नाम चामुंडा रखा.
Published at : 05 Feb 2024 09:03 AM (IST)
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