Puja Pandal: किताब के पन्नों में बनी मां दुर्गा की प्रतिमा, पूजा पंडाल में दिखा बंगाल का इतिहास
बाबू बागान पूजा में बंगाली पुनर्जागरण के 200 वर्षों का चित्रण करने वाला एक पंडाल बनाया गया है. दुर्गा पूजा के आयोजकों ने इस साल भी अपने पंडालों की थीम के साथ देश भर में चल रहे महत्वपूर्ण आयोजनों को ध्यान में रकते हुए डिजाइन किया है.
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View In Appबंगाल पुनर्जागरण के 200 वर्षों को चिह्नित करने के लिए बाबूबगन दुर्गोत्सव समिति ने अपने दुर्गा पूजा पंडाल को दक्षिण कोलकाता में एक पुस्तकालय के रूप में डिजाइन किया है. इस पंडाल में आंदोलन से संबंधित प्रमुख हस्तियों और पुस्तकों को प्रदर्शित किया गया है.
पंडाल के थीम को लेकर सुजाता गुप्ता ने बताया कि वास्तव में इतिहास के बिना वर्तमान संभव नहीं हो सकता है, और वर्तमान के बिना भविष्य भी नहीं बनाया जाएगा. इसलिए, हमें अतीत में जाना चाहिए. 15 वीं शताब्दी से 20वीं और साथ ही 21वीं, किंवदंतियों को जिन्होंने हमें बचाया उसे इस पंडाल के जरिए सम्मान दिया जाता है.
उन्होंने बताया कि ये सभी पुस्तकें उनकी रचनात्मकता का प्रतिनिधित्व करती हैं. यह सब छात्रों को प्रेरित करने के लिए किया जाता है जो निराश हो रहे हैं.
पंडालों के माध्यम से पश्चिम बंगाल के इतिहास को इस तरह से व्यक्त किया गया है कि आपको विश्वास नहीं होगा कि यह एक पूजा पंडाल है. दरअसल, बाबू बागान के पूजा पंडाल में एक पुस्तकालय, एक संग्रहालय और इतिहास के कुछ पन्नों को इतने खूबसूरत तरीके से रखा गया है.
एक तरफ ममता बनर्जी की प्रतिकृति है तो दूसरी तरफ बंगाल का 200 साल पुराना इतिहास. यहां तक कि देवी की मूर्ति को भी किताब के पन्नों के बीच एक श्वेत-श्याम प्रतिमा के रूप में सजाया गया है.
बाबूबगान के इस पूजा पंडाल में बंगाल के 200 साल के पुनर्जागरण का इतिहास पूरी तरह से दिखाया गया है. दूसरी तरफ संग्रहालय में 3000 किताबें रखी गई हैं. जिन्हें देखकर आप नहीं कहेंगे कि आप किसी पूजा पंडाल में हैं.
जो पंखे और लाइटें हैं, वे भी उसी तरह से सजाए गए हैं. पूरे विश्व में भारत को गौरवान्वित करने वाले जितने भी सितारें हैं, उनकी तस्वीर पंडाल के अंदर लगी हुई है. सुकुमार रॉय से लेकर आशुतोष मुखर्जी तक, फिर नीलरतन सरकार रो निवेदिता, कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर, राजा राम मोहन रॉय और अन्य सभी तस्वीरें यहां मिलेंगी.
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