Farmer's Protest Suspended: दिल्ली की सीमाओं पर सालभर से डटे आंदोलनकारी किसान लौटे घर, हुआ जोरदार स्वागत
दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसान अपने तंबू और अन्य संरचनाओं को हटाकर और साजो-सामान को समेटकर शनिवार को ट्रैक्टर ट्रॉलियों और अन्य वाहनों में सवार होकर नाचते- गाते अपने घरों की ओर रवाना हुए. पड़ोसी राज्यों में पहुंचने पर उनका माला पहनाकर तथा मिठाइयां खिलाकर जोरदार स्वागत किया गया. किसानों के घर लौटने के क्रम में शनिवार को फूलों से लदी ट्रैक्टर ट्रॉलियों के काफिले 'विजय गीत' बजाते हुए सिंघू धरना स्थल से बाहर निकले. इस दौरान किसानों की भावनाएं हिलोरें मार रही थीं. सिंघू बॉर्डर छोड़ने से पहले, कुछ किसानों ने 'हवन' किया, तो कुछ ने अरदास तथा ईश्वर को धन्यवाद करके पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश स्थित अपने-अपने घरों की ओर रवाना हुए.
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View In Appशनिवार की शाम तक अधिकतर किसानों ने 5-6 किलोमीटर में फैले सिंघू बॉर्डर विरोध स्थल पर कुछ तंबू हटाकर इसे साफ कर दिया. इसी प्रकार गाजीपुर बॉर्डर पर भी तंबू एवं अन्य संरचनाओं को उखाड़ने का सिलसिला पूरे जोरशोर से जारी था. हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि यह प्रदर्शन स्थल 15 दिसम्बर तक ही पूरी तरह खाली हो पाएगा. टिकरी बॉर्डर पर भी आंदोलन स्थल को लगभग खाली कर दिया गया है. बाहरी जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि बैरिकेड्स हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
दिल्ली-करनाल-अंबाला और दिल्ली-हिसार राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ-साथ अन्य मार्गों पर भी कई जगहों पर लोग एकत्र हुए और किसानों को माला पहनाकर और मिठाइयां खिलाकर स्वागत किया. शंभू बॉर्डर (पंजाब-हरियाणा सीमा) पर एक विमान से किसानों पर फूलों की वर्षा की गई. एक किसान नेता के अनुसार, कहा जाता है कि विमान की व्यवस्था एक अनिवासी भारतीय (एनआरआई) द्वारा की गई थी.
भूपेन्द्र सिंह (40) ने कहा, ‘‘मेरे बच्चे अत्यधिक उत्साहित हैं. हम अंतत: एक साल बाद एक-दूसरे से मिल पाएंगे. मैं बहुत खुश हूं. फोन पर वे अक्सर पूछते थे, पापा घर कब आओगे?’ लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं किसानों की जीत के बाद घर लौट रहा हूं, जो मेरे लिए गौरव का क्षण है.’’ उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिला निवासी भूपेन्द्र सिंह अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली से अपने अन्य गांव वालों के साथ घर लौट रहे थे.
ट्रैक्टर-ट्राली एवं अन्य वाहनों के काफिले के बड़े होने के कारण दिल्ली-हरियाणा राष्ट्रीय राजमार्ग और अन्य सड़कों पर कई जगहों पर यातायात जाम की स्थिति देखी गई. पंजाब के मुक्तसर जिले के दो किसानों की हरियाणा के हिसार में ट्रक की चपेट में आने से मौत हो गई, जब वे टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन स्थल से घर लौट रहे थे. पुलिस ने बताया कि हिसार के धांदूर गांव में हुई इस दुर्घटना में एक किसान गंभीर रूप से घायल हो गया.
गाजीपुर आंदोलन स्थल पर किसानों को संबोधित करते हुए, स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने चार हिंदू ‘धामों’ (पवित्र स्थलों) की तुलना चार सीमा विरोध स्थलों -टिकरी, सिंघू, गाजीपुर और शाहजहांपुर (दिल्ली-जयपुर सीमा) से की. उन्होंने कहा, ‘‘अब हम नहीं बोलेंगे लेकिन किताबें और इतिहास बोलेगा. यह पूरा देश बोलेगा. आज सिर्फ यह याद रखने का दिन है कि पिछले एक साल से हमारे देश में ‘चार धाम’ का अर्थ बदल गया है.
यादव ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु के लोग आते थे और कहते थे कि वे चार स्थानों की यात्रा करना चाहते हैं ... सिंघू बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और शाहजहांपुर बॉर्डर .... ये (आंदोलन स्थल) चार धाम बन गए थे.’’
एक साल से राजमार्ग बंद होने के कारण परिशानियों का सामना कर रहे अनगिनत स्थानीय निवासियों और दुकानदारों ने राहत की सांस ली है. कबाड़ियों के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि किसानों के प्रदर्शन स्थल छोड़ने के बाद वहां उन्हें बांस-बल्ले, तिरपाल, प्लास्टिक और लकड़ी के कुंदे उन्हें वहां से मिले.
हालांकि, किसानों के आंदोलन समाप्त होने से कुछ गरीब बच्चों के मन में रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है. ये बच्चे किसानों के लंगर में खाना खाते थे और फुटपाथ की बजाय किसानों के तंबू में सोने लगे थे. उधर, पंजाब और हरियाणा में सिंघू बॉर्डर से लौटे किसानों की घर-वापसी पर मिठाइयों और फूल-मालाओं से जोरदार स्वागत किया गया. दिल्ली-करनाल-अम्बाला और दिल्ली-हिसार राष्ट्रीय राजमार्गों पर ही नहीं, बल्कि राजकीय राजमार्गों पर अनेक स्थानों पर किसानों के परिजन अपने गांव वालों के साथ किसानों का स्वागत करते नजर आये. इस अवसर पर लड्डू-बर्फी भी बांटे जा रहे हैं.
राष्ट्रीय राजमार्गों पर टॉल प्लाजा और अन्य स्थलों पर किसानों के स्वागत की तैयारियां की गई हैं. संयुक्त किसान मोर्चा का मुख्यालय शनिवार को वीरान नजर आ रहा था. इस बीच किसान नेताओं ने कहा कि वे 15 जनवरी को एक बार फिर बैठक करके यह समीक्षा करेंगे कि सरकार ने उनकी मांग पूरी की या नहीं. मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान, तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में और इन कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर पिछले साल 26 नवंबर को बड़ी संख्या में यहां एकत्र हुए थे.
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