Farmers Protest: दिल्ली के बॉर्डर पर डटे किसान कल से लौटने लगेंगे घर, मदद करने वाले ग्रामीणों को करेंगे सम्मानित
किसान संघों ने उन स्थानीय लोगों का सम्मान करने का निर्णय किया है जिन्होंने दिल्ली के सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर एक वर्ष से अधिक समय तक चले उनके विरोध प्रदर्शन के दौरान उनकी मदद की थी. किसान नेताओं ने कहा कि स्थानीय लोगों ने प्रदर्शनकारियों को विभिन्न तरीके से 'काफी मदद' की. उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों की ओर से दी गई मदद में घरों से बिजली और पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराना शामिल था. उन्होंने कहा कि अब समय ऐसे लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट करने और उनका सम्मान करने का है.
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View In Appकिसानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने गुरुवार को लंबे समय से जारी आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया था, क्योंकि सरकार ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के कुछ दिनों बाद, उनकी अन्य सभी मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की. एसकेएम नेताओं ने घोषणा की है कि आंदोलन स्थगित कर दिया जाएगा और किसान 11 दिसंबर को विजय मार्च निकाल कर अपने घर वापस जाएंगे.
किसान नेता एवं एसकेएम की अधिकार प्राप्त समिति के सदस्य शिव कुमार कक्का ने कहा कि एसकेएम उन स्थानीय लोगों का सम्मान करेगा जिन्होंने आंदोलन के दौरान निस्वार्थ भाव से किसानों की मदद की और आंदोलन को मजबूत किया.
शिव कुमार कक्का ने कहा, ''हमने ऐसे स्थानीय लोगों की सूची बनाने के लिए एक समिति बनायी है ताकि हम उनका सम्मान कर सकें. घर जाने से पहले, कल सिंघू सीमा पर उन्हें सम्मानित करने के लिए एक समारोह आयोजित किया जाएगा. हम उन्हें माला पहनाएंगे और शॉल और मिठाई भेंट करेंगे.''
कक्का ने कहा कि कुछ स्थानीय निवासी और व्यापारी किसानों के अच्छे दोस्त बन गए थे और यह संबंध बरकरार रहेगा. उन्होंने कहा कि एसकेएम अपनी सभी महत्वपूर्ण बैठकें सिंघू बार्डर स्थित कजारिया टाइल्स शोरूम में करता था. उन्होंने कहा कि दुकान मालिक ने पूरी जगह किसानों को दे दी थी. उन्होंने कहा, ''इसलिए हम सभी अच्छे दोस्त बन गए. हम इस मदद को कभी नहीं भूल सकते.''
कक्का ने कहा कि स्थानीय लोगों ने आंदोलनकारी किसानों की कई तरह से मदद की जैसे पानी, बिजली, आश्रय, सभाओं के लिए जगह, टेंट और भोजन आदि उपलब्ध कराना. उन्होंने कहा, ''इसलिए हमने उन्हें धन्यवाद देने और उनका सम्मान करने का फैसला किया है. इसी तरह का समारोह दिल्ली के अन्य सीमा बिंदुओं पर भी आयोजित होने की संभावना है.''
एसकेएम सदस्य सुदेश गोयत ने टिकरी सीमा पर कहा कि केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल) पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे के पास उन स्थानीय लोगों को सम्मानित करने के लिए एक समारोह आयोजित करने की योजना बनाई गई है, जिन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों की मदद की थी. उन्होंने कहा, ''हम शनिवार को उनके माथे पर तिलक लगाएंगे और उन्हें मिठाई एवं शॉल भेंट करेंगे.''
गोयत ने कहा, ''जब सरकार ने हमारी बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी, तो स्थानीय लोगों ने हमें अपने घरों से बिजली और पानी दिया. उन्होंने हमारी हर तरह से मदद की और इस तरह हम लड़ाई जीत गए.'' उन्होंने कहा, ''अब इन लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट करने का समय है. हम घर वापस जाने से पहले टिकरी सीमा के पास के गांवों और कस्बों के लोगों का सम्मान करेंगे.''
गोयत ने कहा, ''जब सरकार ने हमारी बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी, तो स्थानीय लोगों ने हमें अपने घरों से बिजली और पानी दिया. उन्होंने हमारी हर तरह से मदद की और इस तरह हम लड़ाई जीत गए.'' उन्होंने कहा, ''अब इन लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट करने का समय है. हम घर वापस जाने से पहले टिकरी सीमा के पास के गांवों और कस्बों के लोगों का सम्मान करेंगे.''
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. किसानों की मुख्य मांगों में से एक, कानूनों को निरस्त करने के लिए 29 नवंबर को संसद में एक विधेयक पारित किया गया था. हालांकि, किसानों ने यह मांग करते हुए अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त करने से इनकार कर दिया कि सरकार उनकी अन्य मांगों को पूरा करे जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी और किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेना शामिल है.
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