आधी रात को भी किसानों से बातचीत को तैयार कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पर कानून वापस लेने से साफ इनकार
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार किसानों के साथ बातचीत को तैयार है. हालांकि उन्होंने फिर से साफ कर दिया कि कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर कोई बात नहीं होगी. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में उन्होंने कहा कि एक्ट से संबंधित प्रावधानों पर कोई भी किसान यूनियन अगर आधी रात को भी बातचीत करने के लिए तैयार है, तो मैं उसका स्वागत करता हूं.
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View In Appइधर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, सरकारें आरोप ढूंढती हैं समाधान नहीं. यह कौन सा लोकतंत्र है! देशभर के किसान सात महीने से राजधानी में धरने पर बैठे हैं और केंद्र सरकार तानाशाह रवैया अपनाए हुए है.
सरकार और किसान यूनियनों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है. आखिरी बार बातचीत 22 जनवरी को हुई थी. 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा के बाद दोनों पक्षों के बीच बातचीत रुक गई थी.
मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान पिछले छह महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. किसान तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद बंद हो जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक इन कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाई है. न्यायालय ने इस मुद्दे के समाधान के लिए एक समिति का भी गठन किया है.
कृषि मंत्री तोमर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो साझा किया है, जिसमें वो कहते दिख रहे हैं, ‘‘भारत सरकार किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार है. कानूनों को वापस लेने की मांग को छोड़कर कानून के किसी भी प्रावधान पर यदि कोई भी किसान संगठन बातचीत करना चाहता है तो वह आधी रात को भी बातचीत के लिये तैयार हैं.
तोमर और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल सहित तीन केंद्रीय मंत्रियों ने आंदोलन कर रही किसान यूनियनों के साथ 11 दौर की बातचीत की थी. आखिरी बैठक 22 जनवरी को हुई थी, जिसमें किसान यूनियनों ने सरकार के कानूनों को फिलहाल निलंबित करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. 20 जनवरी को हुई दसवें दौर की बातचीत में केंद्र ने इन कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने और संयुक्त समिति के गठन का प्रस्ताव किया था. केंद्र का प्रस्ताव था कि इसके लिए किसानों को दिल्ली सीमाओं से अपने घर लौटना होगा.
तीन कृषि कानूनों - कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर किसानों का (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) समझौता अधिनियम, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 - को संसद ने पिछले साल सितंबर में पारित किया था.
किसान समूहों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडियां और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसान बड़े कॉरपोरेट के मोहताज हो जाएंगे. हालांकि, सरकार ने इन आशंकाओं को निराधार बताया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी 2021 को इन तीनों कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को अगले आदेश तकं के लिये स्थगित कर दिया था. साथ ही गतिरोध को दूर करने के लिये चार सदस्यी समिति को नियुक्त कर दिया. भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने हालांकि बाद में अपने को समिति से अलग कर दिया. अन्य सदस्यों में सेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनवत और कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार जोशी और अशोक गुलाटी समिति के अन्य सदस्यों में शामिल हैं. समिति ने संबद्ध पक्षों के साथ विचार विमर्श और बातचीत की प्रक्रिया पूरी कर ली है.
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