हैदराबाद पहुंचे Amit Shah ने किए स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी के दर्शन, रामानुजाचार्य की जयंती समारोह में कही ये बड़ी बात
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को हैदराबाद के स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी पहुंचे और उन्होंने श्री रामानुजाचार्य की जयंती समारोह पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान अमित शाह ने वहां पूजा अर्चना भी की. उन्होंने श्री रामानुजाचार्य को लेकर कहा कि उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए भी ढेरों काम किए थे.
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View In Appश्री रामानुजाचार्य के जयंती समारोह पर आयोजित एक कार्यक्रम में अमित शाह ने कहा, इस पवित्र भूमि पर स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी स्मारक के साथ वेदाभ्यास की भी व्यवस्था की गई है. वेदों की 9 की 9 शाखाओं के अभ्यास करके विद्यार्थी यहां से निकलेंगे और पूरे देश में जहां जहां जाएंगे, वहां वेद के ज्ञान, सनातन धर्म की सुगंध व ज्योति को प्रज्ज्वलित करते जाएंगे.
अमित शाह ने इस दौरान श्री रामानुजाचार्य का ज़िक्र करते हुए कहा, एक दलित महिला के साथ शास्त्रार्थ के बाद उन्होंने उक्त महिला से कहा कि आप मेरे से ज्यादा ज्ञानी हैं. जिसके बाद उन्होंने उस महिला को दीक्षा दी व मंदिर में उनकी मूर्ति बनाकर सनातन धर्म के अनुयायिओं को समता का संदेश दिया.
गृह मंत्री ने कहा कि रामानुजाचार्य जी में कुप्रथाओं के प्रति एक विद्रोह का भाव था जिससे उन्होंने बहुत ही विनम्रता के साथ कई कुप्रथाओं को बदला. उन्होंने कहा, विनम्रता व विद्रोह मिलते हैं तो सुधार जन्म लेता है, कुप्रथा को अविवेक करे बगैर कृतित्व से बदलने को ही सुधार कहते हैं और यह उन्होंने बहुत अच्छे से किया.
उन्होंने कहा, जब आक्रांताओ ने भारत में मंदिरों पर आक्रमण किया और मंदिर ध्वस्त होने लगे तब रामानुजाचार्य जी ने घर में भगवान की पूजा करने की जो परम्परा सनातन धर्म को दी उसी के कारण आज सनातन धर्म बचा हुआ है.
शाह ने बताया कि रामानुजाचार्य जी ने मध्यम मार्ग को व्याख्याहित कर विशिष्ट अद्वैत की अवधारणा से भारतीय समाज में एकता लाने का क्रांतिकारी काम किया. उनके विशिष्ट अद्वैत दर्शन के कारण ही पूर्व से पश्चिम तक भारत एक सूत्र में बंधा.
अमित शाह ने इस मौके पर कहा, कई भक्ति आंदोलनों का मूल ढूंढेंगे तो विशिष्ट अद्वैत में ही मिलेगा.
उन्होंने कहा, जिस कालखंड में स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी बनी उसी कालखंड में भव्य राम मन्दिर का निर्माण व काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का पुनरोद्धार हुआ, केदारधाम व बदरीधाम के पुनर्निर्माण का काम हुआ. यही कालखंड है जहां से सनातन धर्म को जागरूक होकर पूरे विश्व में अपने देदीप्यमान ज्ञान को पुनः आगे बढ़ाना है.
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