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MH 60R Commissioned: नाइट विजन इक्विपमेंट, हेलफायर मिसाइलें... दुश्मन की पनडुब्बियों के लिए काल बनेगा 'रोमियो', INS गरुड़ पर हुआ कमीशन; Photos
MH 60R Commissioned at INS Garuda: भारत ने अमेरिका से MH-60 रोमियो हेलिकॉप्टर खरीदे हैं. ये सी किंग हेलिकॉप्टर की जगह लेंगे. भारत ने अमेरिका से ऐसे 24 हेलिकॉप्टर खरीदने की डील की है.

इंडियन नेवी के लिए आज का दिन खास रहा. MH-60 रोमियो हेलिकॉप्टरों के एक स्क्वाड्रन को बुधवार (6 मार्च 2024) को कोच्चि में तैनात INS गरुड़ पर भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया. सीहॉक हेलिकॉप्टरों के बेड़े में शामिल होने से नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी. MH-60 रोमियो को अमेरिका से खरीदा गया है, इनमें लगे नाइट विजन इक्विपमेंट और हेलफायर मिसाइलें इसे और घातक बनाती हैं. इसलिए इसे सबमरीन हंटर भी कहा जाता है. MH-60 के बेड़े में शामिल होने को नौसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है. आइए जानते हैं कि MH-60 रोमियो हेलिकॉप्टर की विशेषता क्या है?
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INAS 334 'सीहॉक्स', भारतीय नौसेना की पहली MH 60 आर स्क्वाड्रन को बुधवार को INS गरुड़ कोच्चि में नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की उपस्थिति में शामिल किया गया. कैप्टन एम अभिषेक राम MH 60 आर नेवल एयर स्क्वाड्रन की कमान संभालेंगे.
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भारत ने अमेरिका से MH-60 रोमियो हेलिकॉप्टर की डील की है. इस डील के तहत 2.6 अरब डॉलर की कीमत में 24 MH 60 रोमियो हेलिकॉप्टर खरीदे जाने हैं. इन्हें अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है.
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अमेरिका से खरीदे गए ये हेलिकॉप्टर नौसेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे ब्रिटेन में बने सी किंग हेलिकॉप्टर की जगह लेंगे. इन हेलिकॉप्टर के शामिल होने के बाद इंडियन नेवी की सतह और एंटी सबमरीन ऑपरेशन में सफलता और बढ़ेगी. ये हेलिकॉप्टर INS गरुड़ से ऑपरेट किए जाएंगे.
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MH-60 रोमियो हेलिकॉप्टर में कई मोड वाले रडार, नाइट विजन इक्विपमेंट, हेलफायर मिसाइलें और एमके 54 टॉरपीडो और रॉकेट लगे हैं, जो दुश्मन की सबमरीन को पलक झपकते ही तबाह करने की क्षमता रखता है.
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2002 मे अमेरिकी नौसेना ने MH-60S हेलिकॉप्टर को शामिल किया था. यह अपनी सतह-विरोधी युद्ध क्षमताओं के लिए जाना जाता है. रोमियो वैरिएंट सी हॉक श्रृंखला का हिस्सा है और इसमें डिजिटल कॉकपिट कॉमन है, जिससे पायलटों के लिए MH-60R/S दोनों को संचालित करना आसान हो जाता है. इन हेलिकॉप्टर्स की रेंज 700-800 किलोमीटर है.
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ये हेलिकॉप्टर सबमरीन और सतह से संचालित युद्ध कौशल से निपटने, तलाश और बचाव, चिकित्सीय आपात-स्थिति में सहायता देने में सक्षम हैं. भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप कड़े परीक्षण के बाद ही इन हेलिकॉप्टरों को नौसेना में शामिल करने का फैसला किया गया है. ये हेलीकॉप्टर अत्याधुनिक हथियारों, सेंसरों और अन्य सुविधाओं से युक्त हैं.
Published at : 06 Mar 2024 09:26 PM (IST)
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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