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BrahMos Missile: चीन संग टकराव के बीच फिलीपींस को मिला 'ब्रह्मास्त्र', कैसे भारत ने लगाए एक तीर से दो निशाने? जानिए ब्रह्मोस की खासियत

Brahmos Missile Features: ब्रह्मोस मिसाइल को भारत के 'डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन' (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ मशिनोस्ट्रोयेनिया ने मिलकर बनाया है.

Brahmos Missile Features: ब्रह्मोस मिसाइल को भारत के 'डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन' (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ मशिनोस्ट्रोयेनिया ने मिलकर बनाया है.

ब्रह्मोस मिसाइल

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भारत ने शुक्रवार (19 अप्रैल) को एशियाई देश फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की डिलीवरी की. दोनों देशों के बीच मिसाइलों को लेकर 2022 में 375 मिलियन डॉलर (लगभग 3100 करोड़ रुपये) का सौदा हुआ था, जिसके तहत ब्रह्मोस की पहली खेप फिलीपींस को मिली है.
भारत ने शुक्रवार (19 अप्रैल) को एशियाई देश फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की डिलीवरी की. दोनों देशों के बीच मिसाइलों को लेकर 2022 में 375 मिलियन डॉलर (लगभग 3100 करोड़ रुपये) का सौदा हुआ था, जिसके तहत ब्रह्मोस की पहली खेप फिलीपींस को मिली है.
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फिलीपींस को ब्रह्मोस की डिलीवरी ऐसे समय पर हुई है, जब उसके चीन के साथ रिश्ते तनावपूर्ण हैं. दक्षिण चीन सागर में दोनों देशों की नौसेनाएं लगातार टकरा रही हैं. ऐसे में फिलीपींस को चीन जैसे बिगड़ैल देश से निपटने के लिए ब्रह्मोस जैसे ताकतवर हथियार की जरूरत थी, जिसे भारत ने अब वहां पहुंचा दिया है.
फिलीपींस को ब्रह्मोस की डिलीवरी ऐसे समय पर हुई है, जब उसके चीन के साथ रिश्ते तनावपूर्ण हैं. दक्षिण चीन सागर में दोनों देशों की नौसेनाएं लगातार टकरा रही हैं. ऐसे में फिलीपींस को चीन जैसे बिगड़ैल देश से निपटने के लिए ब्रह्मोस जैसे ताकतवर हथियार की जरूरत थी, जिसे भारत ने अब वहां पहुंचा दिया है.
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ब्रह्मोस से चीन की हेकड़ी निकलने की बात भी हो रही है, क्योंकि एक तरफ भारत ने मिसाइलों की तैनाती की हुई है. वहीं, दूसरी तरफ अब फिलीपींस भी मिसाइलों का मुंह चीन की ओर मोड़ने वाला है. ऐसे में भारत ने न सिर्फ डिफेंस एक्सपोर्ट किया है, बल्कि चीन को फिलीपींस के जरिए घेरकर एक तीर से दो निशाने लगाए हैं.
ब्रह्मोस से चीन की हेकड़ी निकलने की बात भी हो रही है, क्योंकि एक तरफ भारत ने मिसाइलों की तैनाती की हुई है. वहीं, दूसरी तरफ अब फिलीपींस भी मिसाइलों का मुंह चीन की ओर मोड़ने वाला है. ऐसे में भारत ने न सिर्फ डिफेंस एक्सपोर्ट किया है, बल्कि चीन को फिलीपींस के जरिए घेरकर एक तीर से दो निशाने लगाए हैं.
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ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि पिछले साल सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने इसे भारत के मिसाइल जखीरे का 'ब्रह्मास्त्र' बताया था. मई, 2023 में एक कार्यक्रम में हिस्से लेने पहुंचे सीडीएस ने कहा था,
ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि पिछले साल सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने इसे भारत के मिसाइल जखीरे का 'ब्रह्मास्त्र' बताया था. मई, 2023 में एक कार्यक्रम में हिस्से लेने पहुंचे सीडीएस ने कहा था, "ब्रह्मोस हमारे समय का ब्रह्मास्त्र है." ऐसे में आइए इसकी खासियत जानते हैं.
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ब्रह्मोस मिसाइलों को 'ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड' तैयार करता है, जो भारत-रूस का ज्वाइंट वेंचर है. इसकी स्थापना 1995 में भारत के 'डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन' (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ मशिनोस्ट्रोयेनिया ने मिलकर की. ब्रह्मोस एयरोस्पेस का मुख्यालय दिल्ली में है.
ब्रह्मोस मिसाइलों को 'ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड' तैयार करता है, जो भारत-रूस का ज्वाइंट वेंचर है. इसकी स्थापना 1995 में भारत के 'डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन' (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ मशिनोस्ट्रोयेनिया ने मिलकर की. ब्रह्मोस एयरोस्पेस का मुख्यालय दिल्ली में है.
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ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों आदि से लॉन्च कर दुश्मन के टारगेट को नेस्तनाबूद किया जा सकता है. भारत का 'ब्रह्मास्त्र' कहलाने वाली इस मिसाइल की रेंज 290 किमी है. हालांकि, इसे 500 किमी करने के लिए भी काम चल रहा है.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों आदि से लॉन्च कर दुश्मन के टारगेट को नेस्तनाबूद किया जा सकता है. भारत का 'ब्रह्मास्त्र' कहलाने वाली इस मिसाइल की रेंज 290 किमी है. हालांकि, इसे 500 किमी करने के लिए भी काम चल रहा है.
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वहीं, अगर ब्रह्मोस मिसाइल की रफ्तार की बात करें तो ये बहुत ही ज्यादा है. ब्रह्मोस 2.8 मैक यानी ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना ज्यादा रफ्तार से टारगेट को तबाह करने की ताकत रखती है. ब्रह्मोस की रेंज बढ़ने के बाद इसकी रफ्तार 4 मैक या कहें 3,700 किमी प्रतिघंटा हो जाएगी.
वहीं, अगर ब्रह्मोस मिसाइल की रफ्तार की बात करें तो ये बहुत ही ज्यादा है. ब्रह्मोस 2.8 मैक यानी ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना ज्यादा रफ्तार से टारगेट को तबाह करने की ताकत रखती है. ब्रह्मोस की रेंज बढ़ने के बाद इसकी रफ्तार 4 मैक या कहें 3,700 किमी प्रतिघंटा हो जाएगी.
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भारत के पास ब्रह्मोस के कई वर्जन मौजूद हैं. इसमें जमीन से हवा में मारने वाली मिसाइल के साथ-साथ युद्धपोतों और विमानों से लॉन्च किए जाने वाला ब्रह्मोस भी शामिल है. ये मिसाइल हवा में ही रास्ता बदलने में सक्षम है. 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता की वजह से ये रडार की पकड़ में नहीं आती है.
भारत के पास ब्रह्मोस के कई वर्जन मौजूद हैं. इसमें जमीन से हवा में मारने वाली मिसाइल के साथ-साथ युद्धपोतों और विमानों से लॉन्च किए जाने वाला ब्रह्मोस भी शामिल है. ये मिसाइल हवा में ही रास्ता बदलने में सक्षम है. 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता की वजह से ये रडार की पकड़ में नहीं आती है.
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ब्रह्मोस मिसाइल 200 किलोग्राम के वॉरहेड को ले जा सकती है. ये 'फायर एंड फॉरगेट/दागो और भूल जाओ' सिद्धांत पर काम करती है. इसका मतलब है कि एक बार लॉन्च होने के बाद ये टारगेट को तबाह करके ही आती है. इसे सबसे अडवांस्ड एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी नहीं पकड़ पाता है.
ब्रह्मोस मिसाइल 200 किलोग्राम के वॉरहेड को ले जा सकती है. ये 'फायर एंड फॉरगेट/दागो और भूल जाओ' सिद्धांत पर काम करती है. इसका मतलब है कि एक बार लॉन्च होने के बाद ये टारगेट को तबाह करके ही आती है. इसे सबसे अडवांस्ड एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी नहीं पकड़ पाता है.

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