साल के पहले दिन ISRO ने रचा इतिहास, पृथ्वी से 650 KM ऊपर स्पेस में चक्कर लगाएगी एक्सपोसैट सैटेलाइट, जानिए ये क्या-क्या करेगी
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) ने 'एक्स-रे पोलेरिमीटर सैटेलाइट' (एक्सपोसैट) सैटेलाइट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया. ये लॉन्च सुबह 9.10 बजे अंजाम दिया गया.
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View In Appइसरो ने अपने मिशन को अंजाम देने के लिए 'पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल रॉकेट' (पीएसएलवी) का इस्तेमाल किया. एक्सपोसैट सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा में 650 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है.
एक्सपोसैट सैटेलाइट एक अडवांस्ड एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी है, जिसका काम ब्लैक होल और न्यूट्रोन सितारों की स्टडी करना है. अमेरिका के बाद भारत दूसरा ऐसा देश बन गया है, जो अंतरिक्ष में ऑब्जर्वेटरी के जरिए ब्लैक होल की स्टडी करेगा.
एक्सपोसैट एक्स-रे फोटोन और अपने अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप के जरिए ब्लैक होल से निकलने वाले रेडिएशन की स्टडी करने वाला है. ये ब्लैक होल के रहस्यों से पर्दा उठाएगा. इस मिशन का जीवनकाल पांच साल का है.
एक्सपोसैट मिशन के जरिए दो पेलोड भेजे गए हैं, जिन्हें पोलिक्स (पोलरेमीटर इंस्ट्रूमेंट एक्स-रे) और एक्सपैक्ट (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कॉपी और टाइमिंग) कहा जाता है. पोलिक्स पेलोड के जरिए सैटेलाइट एक्स-रे से निकलने वाली पोलराइजेशन को मापेगा.
मिशन के जरिए ब्रह्मांण में मौजूद एक्स-रे सोर्स के लंबे समय तक स्पेक्ट्रल स्टडी की जाएगी. पोलिक्स और एक्सपैक्ट पेलोड के जरिए ब्रह्मांडीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का ध्रुवीकरण और स्पेक्ट्रोस्कोपिक माप भी किया जाएगा.
दरअसल, जब तारों का ईंधन खत्म हो जाता है, तो उनकी मौत हो जाती है. उनकी मौत अपने ही गुरुत्वाकर्षण की वजह होती है. इसकी वजह से ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारें बनते हैं. इसरो इनके बारे में अधिक जानकारी जुटाकर ब्रह्मांड के खतरनाक रहस्यों को सुलझाना चाहता है.
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