Karnal Farmers Protest: किसानों और प्रशासन के बीच बैठक बेनतीजा, कल से ही मिनी सचिवालय के बाहर डटे हैं किसान
Karnal Farmers Protest: किसान संगठनों और करनाल प्रशासन के बीच गतिरोध बरकरार है. किसान पिछले महीने पुलिस को लाठीचार्ज करने का आदेश देने वाले आईएएस के अधिकारी आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए मंगलवार की शाम से ही किसान बड़ी संख्या में जिला मुख्यालय (लघु सचिवालय) के गेट पर डटे हैं. गुरनाम सिंह चडूनी, राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव समेत अन्य किसान नेताओं ने भी यहीं रात बिताई.
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View In Appआज इस गतिरोध को खत्म करने के लिए करनाल के जिलाधिकारी कार्यालय में किसान नेताओं और डीएम-एसपी के बीच करीब तीन घंटे बैठक चली. हालांकि बैठक बेनतीजा रही. बैठक में योगेंद्र यादव, राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी मौजूद रहे. बैठक के बाद राकेश टिकैत ने कहा कि अधिकारी के खिलाफ मुकदमा लिखने और सस्पेंड करने के लिए तैयार नहीं हैं. हमने फैसला लिया है कि सचिवालय के बाहर धरना जारी रहेगा. यूपी, पंजाब से यहां लोग आते रहेंगे. एक मोर्चा यहां भी खोल देंगे.
मंगलवार को भी किसान संगठनों और प्रशासन की लंबी बैठक हुई थी. लेकिन बातचीत विफल रही. इसके बाद किसानों ने अनाज मंडी में महापंचायत की. इसके बाद मार्च कर मिनी सचिवालय पहुंचे और यहीं धरने पर बैठ गए. मार्च के दौरान पुलिस ने रोकने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली.
प्रदर्शनकारी 28 अगस्त को करनाल में पुलिस के लाठीचार्ज करने पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. उनकी मुख्य मांग करनाल के पूर्व एसडीएम सिन्हा से संबंधित है, जिनका नौकरशाही में बड़े फेरबदल के तौर पर तबादला कर दिया गया है. किसान संघ के नेता सिन्हा के निलंबन की मांग कर रहे हैं. सिन्हा को एक टेप में पुलिसकर्मियों को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि अगर प्रदर्शनकारी सुरक्षा तोड़ते हैं तो उनका ‘‘सिर फोड़ देना’’.
अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के कई नेताओं के साथ किसानों ने लघु सचिवालय के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर रात बितायी. सुबह प्रदर्शनकारी घटनास्थल पर चाय बनाते हुए और नाश्ता देते हुए दिखायी दिए.
हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने आज कहा, ‘‘हम यहां से तब तक कहीं नहीं जा रहे हैं जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती.’’ गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘‘पहले तो हम कह रहे हैं कि उनका तबादला करना सजा नहीं है. हम यह भी कह रहे हैं कि जब किसानों पर सड़क अवरुद्ध करने तक के लिए मामला दर्ज कर लिया जाता है तो उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए जिन्होंने पुलिस को सिर फोड़ने का आदेश दिया. क्या कोई कानून है जिसके तहत ऐसा आदेश दिया जा सकता है?’’
दिल्ली-करनाल-अंबाला एनएच-44 पर यातायात सामान्य है. किसानों की महापंचायत से एक दिन पहले सोमवार को यहां सुरक्षा बढ़ा दी गयी थी और केंद्रीय बलों को तैनात किया गया था. करनाल में इंटरनेट सेवा पर रोक है.
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