भीषण ठंड में कश्मीर के स्वर्ग गुलमर्ग से कैसे गायब हुई बर्फ? नजर आ रहे सिर्फ मिट्टी और पत्थर
Jammu Kashmir Snowfall: सर्दी के मौसम में कश्मीर घाटी बर्फ की मोटी चादर से लिपटी नजर आती है. इस बार भी कड़ाके की ठंड पड़ रही है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि कश्मीर का गुलमर्ग जोकि स्कीइंग करने वालों के लिए बेहद पसंदीदा जगह माना जाता है, इस बार वहां बर्फ से ढकी चोटियां तो दूर बर्फ पूरी तरह से गायब हो गई है. वहां पर अब सिर्फ पत्थर और मिट्टी नजर आ रही है. इसको देखकर स्कीइंग रिसॉर्ट (Skiing Resort) में टूरिस्ट नहीं पहुंच रहे हैं. गुलमर्ग में इस तरह की मौसमी स्थिति पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर तस्वीरे शेयर कर चिंता जताई है.
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View In Appपूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 'एक्स' पर लिखते हुए कहा कि सर्दियों के मौसम में मुझे गुलमर्ग में इतना सूखा कभी नजर नहीं आया. उन्होंने साल 2022 और 2023 की दो अलग-अलग तस्वीरे शेयर कीं. यह दोनों तस्वीरें 6 जनवरी को ली गईं थीं, जहां बर्फ की मोटी चादर देखी जा सकती है. इस बार बर्फबारी नहीं होने और गुलमर्ग में सूखे पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि अगर यहां पर जल्द ही बर्फबारी नहीं हुई तो गर्मी में मौसम बेहद ही कष्टकारी होगा. उन्होंने यह भी कहा कि मेरे जैसे स्कीयर स्लोप पर चढ़ने का इंतजार नहीं कर सकते हैं, लेकिन उनके लिए यहां कुछ नहीं है.
पीटीआई के मुताबिक, नए साल का जश्न मनाने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक जोकि बर्फबारी का आनंद लेने के साथ-साथ स्कीइंग जैसी गतिविधियों का लुत्फ उठाने को पहुंचे थे, उनको इस बार निराशा हाथ लगी है. पर्यटकों के वापस जाने की वजह से रविवार (7 जनवरी) को गुलमर्ग में स्कीइंग रिसॉर्ट खाली पड़े रहे.
पीटीआई के मुताबिक, नॉर्थ कश्मीर के बारामूला जिले के गुलमर्ग में पिछले साल यानी 2023 में 10 नवंबर को हल्की बर्फबारी हुई थी जिस दौरान स्की रिसॉर्ट में पर्यटकों की संख्या भी खूब देखी गई. उस दिन कश्मीर के ऊंचे इलाकों में बर्फबारी हुई, जबकि मैदानी इलाकों में बारिश हुई.
मौसम वैज्ञानिकों का भी कहना है कि उत्तर भारत में इस तरह की सर्दी की स्थिति करीब एक दशक में नजर आई है. पहाड़ों में बर्फबारी नहीं होने और मैदानी इलाकों में छाए घने कोहरे और कड़ाके की ठंड पड़ने से स्थिति बेहद खराब हो गई है.
मौसम वैज्ञानिक इस तरह की 'असामान्य' सर्दी को अल नीनो मौसम की घटना से जोड़ कर देख रहे हैं. अल नीनो (El Nino) के प्रभाव की बात की जाए तो यह विश्वव्यापी मौसम पद्धतियों के विनाशकारी व्यवधानों के लिए जिम्मेदार है. माना जाता है कि यह एक बार शुरू होने पर कई सप्ताह या महीनों चलता है. अल नीनो अक्सर 10 साल में दो बार आता है और कभी-कभी 3 बार भी इसके आने की संभावना रहती है. अल नीनो प्रशांत महासागर के भूमध्यीय क्षेत्र की उस समुद्री घटना का नाम है, जो दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित इक्वाडोर और पेरु देशों के तटीय समुद्री जल में कुछ सालों के अंतराल पर घटित होती है.
मौसम विभाग का मानना है कि जनवरी माह के आखिर तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कोई बारिश और बर्फबारी की भविष्यवाणी नहीं है. यहां अधिकतम तापमान भी 13-15 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया जा रहा है, जो सामान्य से 10-12 डिग्री अधिक है. बर्फबारी की संभावना बहुत कम होने के चलते लद्दाख का क्षेत्र भी संभावित सूखे जैसी स्थिति की ओर बढ़ रहा है.
कश्मीर मौसम विभाग के निदेशक डॉ. मुख्तार अहमद के अनुसार 25 जनवरी तक इन क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी की बहुत कम संभावना है. हालांकि, दो कमजोर पश्चिमी विक्षोभ आएंगे, लेकिन वो सिर्फ ऊंचे पहाड़ों पर थोड़ी बर्फबारी ही लाएंगे. जिसका मतलब है कि इस महीने भी कश्मीर घाटी या लद्दाख में बर्फबारी नहीं होगी.
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