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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chamayavilakku Festival: बेहद खास है केरल का यह मंदिर, यहां पुरुष करते हैं औरत बनकर पूजा, इस परंपरा के पीछे छिपा है ये बड़ा रहस्य
परंपरा के अनुसार, दो दिवसीय उत्सव के दौरान पुरुष लगभग 2 बजे औपचारिक एझुन्नलाथु (जुलूस) के लिए मंदिर के गेट से कतार में खड़े होते हैं और पीठासीन देवता, देवी दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए पांच बत्तियों वाले दीपक हाथ में लेते हैं.
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View In Appयह त्योहार कपड़ों और वेशभूषा में रचनात्मकता दिखाने के लिहाज से काफी शानदार है. यहां आने वाले इसी का प्रदर्शन करते हैं. यहां भाग लेने वाले पुरुष आभूषणों और महिलाओं के साजो-सज्जा से जुड़ी अन्य चीजों के साथ महिलाओं के कपड़े भी पहनते हैं.
हर साल इस आयोजन से पहले पुरुषों को महिलाओं का रूप देने में मदद करने के लिए मंदिर के पास कई स्टूडियो और ग्रीन रूम बनाए जाते हैं. पिछले कुछ वर्षों में, चामायाविलक्कू ने केरल में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक विशेष महत्व हासिल कर लिया है, जो बड़ी संख्या में त्योहार में भाग लेते हैं.
इस मंदिर में यह परंपरा एक किंवदंती से जुड़ी है, जिसके अनुसार जब कुछ चरवाहों ने एक नारियल को पत्थर से तोड़ने का प्रयास किया तो उसमें से खून निकलने लगा.
पंडितों ने पाया कि इस पत्थर में वनदुर्गा की दैवीय शक्ति है, और उन्होंने स्थानीय लोगों को इसके चारों ओर एक मंदिर बनाने का निर्देश दिया. उस समय, लड़कियों ने मंदिर में पूजा की. इसलिए चरवाहों ने मंदिर की प्रारंभिक पूजा करने के लिए लड़कियों के रूप में कपड़े पहने
10 साल से कम उम्र के लड़के भी कक्काविलक्कू के लिए लड़कियों की तरह तैयार होते हैं, जो चामयाविलक्कू उत्सव का एक हिस्सा है.
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