सच्चाई का सेंसेक्स: गुना के शौचालय में खाने का सच
पड़ताल टीम मौके पर पहुंची और इसके बारे में एसडीएम बीके शर्मा से बात की. उन्होंने बताया कि इस व्यक्ति को कोरोना वायरस के कारण अंदर नहीं घुसने दिया गया था. जिसके बाद उसके ठहरने की व्यवस्था एक स्कूल में की गई. वहीं जिस समय शख्स वॉशरूम गया था उस वक्त ये नशे की हालत में था. ये बोल रहा था कि मुझे महुआ की दारू मिल गई है. राघोगढ़ के एसडीएम से बातचीत के मुताबिक गुना के राघोगढ़ तहसील के पास देवरीपुर गांव से शौचालय में खाने की थाली के साथ बैठे भैयालाल की तस्वीरें सच्ची हैं. पर तस्वीरों के साथ ये दावा कि शौचालय में क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया ये दावा जांच का विषय है.
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View In Appसोशल मीडिया पर एक व्यक्ति के शौचालय में बैठकर खाना खाने की कुछ तस्वीरें वायरल हैं. दावा है कि कोरोना के डर से गांव वालों ने बाहर से आए व्यक्ति को गांव में जगह नहीं दी. इसलिए वो शौचालय में रहने को मजबूर हुआ. सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में दावा किया गया कि एमपी के गुना की तस्वीरें हैं. शौचालय को क्वॉरंटीन सेंटर बनाकर बाहर से आए व्यक्ति को रखा गया. व्यक्ति शौचालय में ही खाना भी खा रहा. इसके अलावा एक और तस्वीर में हमें शौचलय में भोजन का दावा करने वाली तस्वीर का दूसरा पहलू भी देखने को मिला. दीवार पर प्राथमिक शाला देवीपुरा बालक शौचालय लिखा था. साथ ही गांव की सरपंच का नाम मीराबाई शाक्यवार भी लिखा मिला.
एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि अलीगढ़ के एक आइसोलेशन सेंटर में मरीजों को बेहद खराब क्वालिटी का खाना दिया जा रहा है. वीडियो बनाने वाला अपना पता बता रहा है कि वो अलीगढ़ के क्वरंटीन सेंटर में है. वीडियो में बिस्तर पर मरीज दिखाई दे रहे हैं. इस दावे की पड़ताल की गई. पड़ताल में पता चला कि वीडियो वायरल होने के बाद अलीगढ़ के जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने मामले का संज्ञान लेते हुए जांच के लिए क्वंरटीन सेंटर में एक टीम भेजी थी. जिलाधिकारी के मुताबिक क्वरंटीन सेंटर में सुविधाएं दुरुस्त हैं खाने की व्यवस्था ठीक है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी को भेजकर निरीक्षण कराया गया था. यहां मानक के अनुसार सारी व्यवस्थाएं हैं. यह किसी की शरारत की गई है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जिलाधिकारी के बयान के मुताबिक अलीगढ़ का वायरल वीडियो झूठा साबित हुआ है.
सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल है. दावा है कि अल्ट्रावाइलेट किरण के चैंबर से कोरोना संक्रमित मरीज़ को अगर निकाला जाए तो उसके अंदर कोरोना से विषाणु खत्म हो जाएंगे. क्या ये वाकई सच है? इसे जानने के लिए पड़ताल की गई. न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर नवदीप कुमार ने कहा कि अल्ट्रावाइलेट किरणों का मेडिकल में प्रयोग किए गए यंत्रों के बैक्टीरिया मारने में होता है. बॉडी में अगर ज्यादा देर तक अल्ट्रावाइलेट रेडिएशन रहता है तो शरीर पर काफी नुकसान हो सकते हैं. स्किन कैंसर हो सकते हैं. कैंसर के अलावा खुजली भी होने लगती है. बॉडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है. मोतियाबिंद के चांस बढ़ जाते हैं. ये बॉडी के लिए नहीं बना है. अगर ऐसा कोई मैसेज वायरल हो रहा है तो ये गलत मैसेज है. न्यूरोलॉजिस्ट नवदीप कुमार के मुताबिक अल्ट्राव्यॉलेट किरणों का इस्लेमाल मानव शरीर पर नहीं किया जा सकता. पड़ताल में अल्ट्रावाइलेट किरणों के चेंबर से व्यक्ति को निकालने पर कोरोना के विषाणु खत्म होने का दावा झूठा साबित हुआ है.
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