एक्सप्लोरर
Advertisement
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/Premium-ad-Icon.png)
वायुसेना के विशेष विमान से राजकीय सम्मान के साथ भारत वापस लौटे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष, देखें तस्वीरें
Lord Buddha Relics: भगवान बुद्ध, उनके शिष्य अरहत सारिपुत्र और अरहत मौदगलायन के पवित्र अवशेष 26-दिवसीय प्रदर्शनी के बाद थाइलैंड से मंगलवार (19 मार्च, 2024) को वायु सेना के विमान से भारत लाया गया.
![Lord Buddha Relics: भगवान बुद्ध, उनके शिष्य अरहत सारिपुत्र और अरहत मौदगलायन के पवित्र अवशेष 26-दिवसीय प्रदर्शनी के बाद थाइलैंड से मंगलवार (19 मार्च, 2024) को वायु सेना के विमान से भारत लाया गया.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/03/19/848384002d8aa1276303af2a3101b35b1710851259511528_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
भगवान बुद्ध
1/6
![भगवान बुद्ध, उनके शिष्य अरहत सारिपुत्र और अरहत मौदगलायन के पवित्र अवशेष दिल्ली के पालम स्थित वायु सेना अड्डे पर लाए गए.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/03/19/a83bc7e81f95363b19f939edeec35ebd12380.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
भगवान बुद्ध, उनके शिष्य अरहत सारिपुत्र और अरहत मौदगलायन के पवित्र अवशेष दिल्ली के पालम स्थित वायु सेना अड्डे पर लाए गए.
2/6
![विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी अवशेषों के स्वदेश लौटने के दौरान मौजूद रहीं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/03/19/ea391c19b3c909c9a2699f398bb6d69f73edd.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी अवशेषों के स्वदेश लौटने के दौरान मौजूद रहीं.
3/6
![भगवान बुद्ध, उनके शिष्य अरहत सारिपुत्र और अरहत मौदगलायन के अवशेष को 23 फरवरी को बैंकॉक के सनम लुआंग मंडप में विशेष रूप से निर्मित मंडप में पूजा के लिए स्थापित किया गया था.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/03/19/8d022c26ecea50a252a5142223be59cf2239f.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
भगवान बुद्ध, उनके शिष्य अरहत सारिपुत्र और अरहत मौदगलायन के अवशेष को 23 फरवरी को बैंकॉक के सनम लुआंग मंडप में विशेष रूप से निर्मित मंडप में पूजा के लिए स्थापित किया गया था.
4/6
![भगवान बुद्ध और उनके शिष्य के पवित्र अवशेषों को कुम लुआंग, रॉयल रुजाप्रुक, चियांग माई, वाट महा वानाराम, उबोन रतचथानी, वाट महा थाट, औलुएक और क्राबी में प्रदर्शित किया गया था.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/03/19/03ac2a8051abf11a83905111043fbea51097e.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
भगवान बुद्ध और उनके शिष्य के पवित्र अवशेषों को कुम लुआंग, रॉयल रुजाप्रुक, चियांग माई, वाट महा वानाराम, उबोन रतचथानी, वाट महा थाट, औलुएक और क्राबी में प्रदर्शित किया गया था.
5/6
![केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने बताया था कि यह पहली बार है जब भगवान बुद्ध, उनके शिष्य अरहत सारिपुत्र और अरहत मौदगलायन के पवित्र अवशेषों को एक साथ प्रदर्शित किया गया.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/03/19/ceea935f1eb3f259270c8945a66919d631717.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने बताया था कि यह पहली बार है जब भगवान बुद्ध, उनके शिष्य अरहत सारिपुत्र और अरहत मौदगलायन के पवित्र अवशेषों को एक साथ प्रदर्शित किया गया.
6/6
![भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के चार पवित्र पिपराहवा अवशेष भारत में संरक्षित हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/03/19/f9150a7a4aa957c566864e308182b4e669e2a.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के चार पवित्र पिपराहवा अवशेष भारत में संरक्षित हैं.
Published at : 19 Mar 2024 06:17 PM (IST)
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
Blog
क्रिकेट
बिहार
Advertisement
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![राहुल लाल, राजनीतिक विश्लेषक](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/4b309f9307dd328413c5218f2b10afc3.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)
राहुल लाल, राजनीतिक विश्लेषकJournalist
Opinion