Ajit Pawar News: अपने ही चाचा से बगावत करने वाले महाराष्ट्र के नेता अजित पवार, जाने क्यों हैं इतने लोकप्रिय
अजित पवार एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए में शामिल होकर उन्होंने उपमुख्यमंत्री का पदभार संभाल लिया है. अपने राजनीतिक जीवन में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री होने के अलावा, वह महाराष्ट्र के वित्त मंत्री भी रह चुके है.
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View In Appअजित पवार बारामती सीट से विधायक हैं और तीसरी बार डिप्टी सीएम बने हैं. 2019 में वो सिर्फ 80 घंटे के लिए डिप्टी सीएम बने थे. बाद में महा विकास अघाड़ी की सरकार में डिप्टी सीएम रहे और अब फिर से डिप्टी सीएम बन गए हैं.
अजित पवार ने अपनी शिक्षा की शुरुआत मुंबई से की. उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई महाराष्ट्र एजुकेशन सोसायटी हाई स्कूल बारामती से पूरी की.
अजित पवार अपनी स्कूल की पढ़ाई के बाद चाचा के साथ राजनीति में लग गए. अजित पवार के चाचा का नाम शरद पवार है. जो कि एक प्रसिद्ध राजनेता है.
अजित पवार के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1982 में हुई जब वो महाराष्ट्र के पुणे में एक चीनी सहकारी समिति के निदेशक मंडल में निर्वाचित हुए.
इसके बाद साल 1991 में ही पहली बार वह लोकसभा सांसद भी बने. बाद में उन्होंने अपने चाचा शरद पवार के समर्थन में अपनी लोकसभा सीट खाली कर दी. उस समय पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में शरद पवार रक्षा मंत्री बने थे. इसके बाद उन्हें बारामती विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से महाराष्ट्र विधान सभा (एमएलए) के सदस्य के रूप में चुना गया.
अजित पवार साल 1995, 1999, 2004, 2009 और 2014 में उसी निर्वाचन क्षेत्र (बारामती) से फिर से चुने गए. इसके अलावा वे सुधाकरराव नाइक की सरकार में कृषि और बिजली राज्य मंत्री भी बने.
इसके बाद 23 नवंबर 2019 को वो मौका आया जब उन्होंने महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार में देवेंद्र फडणवीस का समर्थन किया और तीसरी बार महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बने. हालांकि महज 3 दिनों बाद ही 26 नवंबर 2019 को उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया.
अब 2 जुलाई 2023 को एनसीपी नेता अजित पवार ने महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होकर डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है. महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार में वे उप मुख्यमंत्री बन चुके हैं. उनके साथी एनसीपी के कई विधायकों ने महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल होकर मंत्री पद की शपथ ली है.
वही, अजित पवार पर महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक की ओर से दिए गए लोन में अनियमितताएं बरतने का आरोप है. ये लोन घोटाला 2005 से 2010 के बीच का है. तब राज्य में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार थी. आर्थिक अपराध शाखा (EOW) इसकी जांच कर रही है. ईडी ने भी इसी साल अप्रैल में चार्जशीट दायर की थी. हालांकि, ईडी ने अजित को अभी आरोपी नहीं बनाया है. इसके अलावा, अजित का नाम सिंचाई घोटाले में भी है.
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